तुलसी अयुर्वेद में एक गुणकारी और महत्वपूर्ण पौधा है। तुलसी हरी और काले रंग में आती है। काली तुलसी को श्याम तुलसी कहते हैं। इसका उपयोग ज्यातर रोगों में किया जाता है। तुलसी के सारे अंग काम में आते हैं। जैसे,पत्ते,बीज,टहनी,जड़,फूल सभी औषधी के काम में आते हैं।
इसकी कितनी मात्रा लेनी चाहिए?
तुलसी के दो से बारह पत्ते प्रयोग में लाने चाहिए। इनका उपयोग पीस कर रस निकाल कर भी किया जा सकता है। इसका रस एक या आधा चम्मच तक प्रयोग करना चाहिए। तुलसी का अर्क भी निकाला जाता है। अर्क की कुछ बूंदें रोग और रोगी के अनुसार,उसकी आयू के अनुसार प्रयोग की जाती हैं। इसकी पत्तियों का पाउडर भी बनाया जाता है उसका भी प्रयोग किया जाता है।
तुलसी की तासीर गर्म होती है। इसलिए इसका प्रयोग पित जिनका बढ़ा हो अर्थात जलन,एसीडीटी या गर्म तासीर वाले व्यक्ति चौथाई मात्रा में प्रयोग करें। तुलसी के काढ़े का भोजन के एक घंण्टे बाद प्रयोग करना है। आधे घंण्टे तक कुछ खाना पीना नहीं है।
तुलसी का प्रयोग कैसे करें?
संक्रमण,बार बार बीमार पड़ना, ऐसे व्यक्ति को तुलसी के पाँच पत्ते सुबह पाँच पत्ते शाम को खाएँ। शाम के पत्ते सुबह ही तोड़ कर रक्ख लें। इतनी मात्रा की पत्तियाँ पीस कर या काढ़ा बनाकर सेवन किया जा सकता है। कढ़ा खाने के एक घंण्टे बाद लिया जा सकता है। इन पत्तियों के सेवन से शरीर में कहीं भी सूजन हो वह मूत्र मार्ग से निकल जाती है। और व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है।
गठिया में तुलसी के इसी काढ़े से गठिया जोड़ों का दर्द भी दूर होता है,व रोग ठीक होता है। फैटी लीवर में सिर्फ सुबह ही इसका सेवन करना लाभकारी होता है। शूगर में इसकी पत्तियाँ सुबह शाम चबाने से मधूमेह में लाभ होता है,पाउडर के रुप में चौथाई चम्मच प्रयोग करना चाहिए। दमा,जुखाम ,एलर्जी में एक इंच कच्ची हल्दी के टुकड़े के साथ तुलसी के पत्ते एक कप पानी में उबाल कर आधा रहने पर एक चममच शहद डाल कर खाना खाने के एक घंण्टे बाद लेने से लाभ मिलता है। काढ़ा प्रयोग करने के बाद आधा घंण्टे तक कुछ भी खाना पीना नहीं चाहिए।
खाँसी होने पर एक इंच कच्ची हल्दी का टुकड़ा,एक इंच अदरक का टुकड़ा व पाँच सात पत्ते तुलसी लेकर पीसकर रस निकाल लें। इसमें सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने सुबह शाम चाटने से बलगमी खाँसी ठीक होती है और सूखी खाँसी होने पर इसी रस में थोड़ा सा घी डालकर सेवन करें। डिप्रैशन में तुलसी की पत्तियों का काढ़ा सुबह शाम पीने से तनाव,सिर की नसें सुकड़ना,खुष्की होना,नसों को ताकत देता है व डिप्रैशन तनाव दूर करता है।
इतनी ही पत्तियों का खाली पेट सेवन करने से आँखों की रौशनी तेज होती है और मोतियाबिंद नहीं होता है।
तुलसी की पत्तियाँ चबाने से सिरदर्द में आराम मिलता है। मुँह की भयानक बदबू,पायरिया,या कमजोर मसूड़े,दाँत हिलने में तुलसी के चूर्ण से मंजन करने पर सभी समस्याओं में आराम मिलता है। चेहरे की मुहाँसे पर तुलसी का रस लगा कर पन्द्रह मिनट बाद धो लें,यह हफ्ते में चार बार लगाने से मुँहासे ठीक होते हैं।
तुलसी का प्रयोग कब नहीं करना चाहिए?
इसकी तासीर गर्म होती है। इसलिए जो महिलाऐ गर्भवती है,बच्चे को दूध पिलाती हैं उन्हें तुलसी का सेवन नहीं करना चाहिए। जिन महिलाओं को मासिक ज्यादा आता है उन्हें तुलसी का सेवन नहीं करना चाहिए। गर्म तासीर वाले,जिन्हे पेट में जलन हो उन्हें तुलसी का सेवन नहीं करना चाहिए। दोपहर को तुलसी का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसका प्रयोग सुबह शाम ही होता है।