मार्ग में काँवड़ पूजन विधि
प्रातःकाल काँवड़ लेकर चलने से पहले एँव शाम को विश्राम देने पर दोनों समय काँवड़ की पूजा करनी चाहिए।
1. श्री गणेश वंदना, 2. श्री गंगाजी की आरती, 3. श्री शंकर भगवान की आरती, 4. हनुमान जी की आरती एवं क्षमा प्रार्थना करते हैं।
यात्रा में आवश्यक सामान
1. काँवड़ श्रद्धा से सजी हुई व दो जलपात्र, 2. तीन जोड़ी कपड़े भगवा रंग के पहला 3 बनियान, दूसरा 3 कच्छे और तीसरा ३ गमछे, 3. एक दूध वाली बाल्टी (एक लीटर वाली), 4. एक प्लास्टिक पन्नी 3 मीटर लम्बी या चटाई, 5. एक थैला या बैग लटकाने की, 6. एक बैटरी, 7. एक चादर, 8. एक चाकू, 9. रेजगारी इच्छानुसार, 10. सुतली, 11. दवाई अगर आवश्यक हो तो।
पूजा का सामान
1. प्रसाद यथा शक्ति-मिश्री, बादाम या बताशे इत्यादि, 2. धूप या अगरबत्ती, 3. कपूर, 4. छोटी हाफ प्लेट स्टील की (आरती करने के लिए), 5. कलश ढकने के लिए छोटे लाल कपड़े, 6. आरती की पुस्तक ।
कांवड़ संबंधी कुछ नियम
ब्रह्मचर्य का पालन करें। जमीन अथवा तख्त पर सोना चाहिए।रास्ते भर बोल बम बोल बम का उच्चारण करें एवं सांय को कीर्तन करें। साथी कांवड़ियों की सहायता करें।प्रातः काल एवं सायं को कांवड़ की आरती करें।काँवड़ हमेशा ऊंचे एवं पवित्र स्थान पर रखें।बोल बम का नारा लगाते हुए काँवड़ उठाते समय हमेशा कांवड़ दाहिने कंधे पर ही रखें। दाहिने कंधे से बाएँ कंधे पर कावड़ ले जाते समय काँवड़ पीछे से ले जाएँ। सिर के ऊपर से नहीं जानी चाहिए।भोजन, नींद एवं शौच के बाद स्नान अवश्य करें।काँवड़ शुद्ध सच्चे मन एवं लगन से लानी चाहिए। इसमें किसीप्रकार की प्रतियोगिता नहीं होनी चाहिए।काँवड़ यात्रा में तेल, साबुन, कंघा, इस्तेमाल न करें।चारपाई पर न बैठें न सोएँ ।चमड़े का सामान साथ न रखें।मदिरा पान व नशा न करें।किसी की निंदा या आलोचना न करें।