तुलसी प्रत्येक सनातन धर्म मानने वाले के घर में अवश्य मिलती है। इसके धार्मिक महत्व के विषय में बहुत से लाभ और जानकारी प्राप्त होती है। तुलसी की पूजा सारे साल की जाती है। पर कार्तिक मास तुलसी पूजन का विषेश मास है। सनातन धर्म में कार्तिक मास अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है। उनकी पूजा तुलसी के बगैर अधूरी है।
उनको तुलसी अर्पण करके ही उनकी पूजा पूर्ण होती है। यहाँ तक की उनके भोग पंचामृत में भी तुलसी उपर से डाली जाती है। भगवान कृष्ण को भी तुलसी की माला और तुलसी अर्पण की जाती है। तुलसी को भगवान विष्णु का वरदान है कि तुलसी के बगैर उनकी पूजा अधूरी होगी,इसलिए उनकी पूजा में तुलसी अवश्य होती है।
तुलसी को लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। इसलिए जहाँ तुलसी होती है वहाँ भगवान विष्णु का वास माना जाता है। जहाँ तुलसी लगाकर रोज उसकी पूजा होती है उसे नर्क की यातना नहीं झेलनी पड़ती है और इसका पूजन भगवान विष्णु का पूजन माना जाता है। गंगा जल और तुलसी पर चढ़ाया जल एक समान होता है यह भगवान विष्णु जी कहते हैं और मृत्यु के समय तुलसी का पत्ता मृतक के मुख में रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसके पाप ताप नष्ट होते हैं।
श्राद्ध पक्ष में तर्पण पूजन करते समय अगर तुलसी का पौधा पास हो तो पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। तुलसी के पौधे से घर में सकारात्मक उर्जा का प्रभाव रहता है। तुलसी की पूजा से सर्व मनोकामना पूर्ण होती हैं। तुलसी से संबधित इसके महत्व को बताने वाली एक कथा है।
श्री कृष्ण पत्नी सत्यभामा ने श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम को प्रदर्शित करने के लिए घोषणा की कि वे श्री कृष्ण के वजन के बराबर स्वर्ण दान में देंगी। उन्होंने तराजू के एक पलड़े में श्रीकृष्ण को और दूसरे पलड़े में स्वर्ण रक्खा,पर श्री कृष्ण का पलड़ा फिर भी भारी ही रहा। सत्यभामा ने अपने सारे आभूषण स्वर्ण तराजू में रक्खे पर तराजू का पलड़ा हिला तक नहीं। उनका सारा स्वर्ण समाप्त हो गया और वे घबराकर अपनी असफलता पर रोने लगीं।
वे रोते हुए रूक्मणी जी के पास गई। उन्होंने रोते हुए बताया कि उन्होंने अपना सारा स्वर्ण तुला पर रक्ख दिया तब भी श्री कृष्ण का पलड़ा हिला भी नहीं। रुक्मणी जी ने एक तुलसी का पत्ता लिया और स्वर्ण के पलड़े पर रक्ख दिया। उनका पत्ते का रखना ही था कि पलड़ा भारी हो जमीन पर बैठ गया और श्री कृष्ण का पलड़ा हल्का होकर उपर उठ गया। यह है तुलसी जी की महिमा,कि उनके एक एक पत्ते का भी श्री हरि अपने समान मानते हैं।
तुलसी के गिरे पत्ते वापस गमले में डाल देने चाहिए। उन्हें लाँघना नहीं चाहिए। इससे पाप दोष लगता है। तुलसी का औषधीय महत्व भी है। इसके अनगिनत औषधीय लाभों के कारण भी सभी इसे अपने घरों में लगाते हैं। इसलिए प्रत्येक सनातनी अपने घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाते हैं।