हमारे सनातन धर्म में कुछ मान्यताऐं हैं जो धर्म,अर्थ और स्वास्थय से जुड़ी हैं। यह मान्यताऐं यूँ ही नहीं जुड़ी हैं। बल्कि इनके अपने आधारभूत सत्य हैं। जिनका पालन आज भी किया जाता है। जैसे सेंधा नमक नाकारात्मकता को समाप्त करता है,शुद्ध घी का दीया जलाने से वातावरण शुद्ध होता है। पीपल का स्पर्श स्वास्थय के लिए लाभदायक है क्योंकि यह वृक्ष उच्च स्तर तक आक्सीजन प्रदान करता है। यह उर्जा और श्री में वृद्धी करता है। गोमूत्र स्वंय में बैक्टीरिया नाशक है। इसका उपयोग अनेकों बीमारियों में उपचार के लिए आज भी किया जाता है। घर,मंदिर,रसोई में गन्दगी या अनावश्यक बेकार कबाड़ नाकारात्मकता को निमंत्रण देते हैं। अतेव इनसे दूर रहें। आज के पूजा विधान सदियों से अपनाए जा रहे हैं। और यह आज भी लाभदायक हैं।
घर में झाड़ू कभी खड़ा करके न रखें। झाड़ू लाँघना, पाँव से कुचलना भी दरिद्रता को निमंत्रण देना है। दो झाड़ को भी एक ही स्थान में न रखें, इससे शत्रु बढ़ते हैं। घर में किसी भी परिस्थिति में रात को जूठे बर्तन न रखें, क्योंकि शास्त्र कहते हैं कि रात में लक्ष्मी जी घर का निरीक्षण करती हैं। यदि जूठे बर्तन रखना ही हो तो किसी बड़े बर्तन में उन बर्तनों को रखकर उनमें पानी भर दें और ऊपर से ढक दें तो दोष निवारण हो जाएगा। कपूर का एक छोटा सा टुकड़ा घर में नित्य अवश्य ही जलाना चाहिए, जिससे वातावरण अधिकाधिक शुद्ध हो, वातावरण में धनात्मक ऊर्जा बढ़े। घर में नित्य घी का दीपक जलावें और सुखी रहें।
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घर में नित्य गोमूत्र युक्त जल से पोंछा लगाने से घर में वास्तुदोष समाप्त होते हैं तथा दुरात्माएँ हाथी नहीं होती हैं। सेंधा नमक (राक साल्ट ) घर में रखने में सुख श्री की वृद्धि होती है। रोज पीपल वृक्ष के स्पर्श से शरीर में रोग प्रतिरोधकता में वृद्धि होती है। साबुत धनिया, हल्दी की पाँच गाँठें, कमलगट्टे तथा साबुत नामक एक थैली में रखकर तिजोरी (सेफ) में रखने से बरकत होती है। श्री व समृद्धि बढ़ती है। दक्षिण वर्त शंख जिस घर में होता है। उसमें साक्षात् लक्ष्मी एवं शांति का वास होता है। वहाँ मंगल ही मंगल होते हैं। पूजा-स्थान पर दो शंख नहीं होने चाहिएँ।
घर में यदा-कदा केसर के छींटे देते रहने से वहाँ धनात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है। पतला घोल बनाकर आम्र पत्र अथवा पान के पत्ते की सहायता से केसर के छींटे लगाने चाहिए। एक मोती, शंख, पाँच गोमती चक्र, तीन हकीक पत्थर, एक ताम्र सिक्का व थोड़ी सी नागकेसर एक थैली में भरकर घर में रखें, इससे श्रीवृद्धि होगी। आचमन करके जूठे हाथ सिर के पृष्ठ भाग में कदापि न पोंछें, इस भाग में अत्यन्त महत्वपूर्ण कोशिकाएँ होती हैं। घर में पूजा-पाठ व मांगलिक पर्व में सिर पर टोपी व पगड़ी पहननी चाहिए, रूमाल विशेषकर सफेद रूमाल शुभ नहीं माना जाता है।