ऊँ का उच्चारण प्रत्येक मंत्र से पहले होता है। इसका ऐसे भी उच्चारण किया जा सकता है। ऊँ की शक्तियाँ सृष्टि से भी पहले थीं और ब्रंहमांण्ड के अन्त तक रहेंगी। यह वह पहली ध्वनि है जो ब्रहमांण्ड में गुंजरित हुई थी। इसके उच्चारण के लाभ आज भी वैज्ञानिक मानते हैं। व यह आज भी उनके लिए शोध का विषय है। ध्यान में व पूजा जप में ऊँ का उच्चारण मन में शान्ति व एकाग्रता लाता है। पर इसके उच्चारण से रोग भी दूर होते हैं क्या यह आपको पता है? वे कौन से दस लाभ हैं जो ऊँ के उच्चारण से प्राप्त होते हैं,इसका वर्णन यहाँ किया जा रहा है।
ऊँ शब्द अ ऊ म अक्षरों से मिलकर बना है। अ का तात्पर्य है उत्पन्न होना,ऊ का तात्पर्य है उठना या विकास,म का अर्थ मौन हो जाना अर्थात ब्रह्मलीन हो जाना है। ऊँ के उच्चारण से हमारा पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है। क्योंकि 90% रोग पेट से शुरू होते हैं। इसकी ध्वनि तरंगें पाचन तंत्र को सुचारू रूप से बनाए रखती हैं। ऊँ के उच्चारण से गहरी नींद आती है। जिन्हें नींद नहीं आती वे ऊँ का उच्चारण करते हैं तो गहरी और अच्छी नींद आती है।
मानसिक रोगों में तनाव आज सभी पर हावी हो रहा है। तनाव आज मानव जीवन में अनेकों समस्याओं की जड़ है। यह शारीरिक रोगों को भी जन्म देता है। ऊँ का उच्चारण तनाव को दूर कर मानसिक शान्ति और सुकून देता है। आज हर दसवाँ व्यक्ति घबराहट से ग्रसित है। छोटी छोटी बातों में घबरा जाना और घबराहट में काम बिगड़ जाना यह होता ही रहता है। ऊँ का उच्चारण करने से मन को बल मिलता है और घबराहट अपने आप ही धीरे धीरे चली जाती है।
ऊँ का उच्चारण कंपन पैदा करता है। जिसका प्रभाव गले पर पड़ता है। इससे थाइराईड की समस्या में आराम मिलता है। आज तनाव भरे इस युग में ब्लडप्रैशर की समस्या बढ़ रही है। ऊँ के उच्चारण से ब्लडप्रैशर ठीक रहने में सहायता मिलती है। यह निम्न रक्तचाप में भी लाभ करता है।
ऊँ के उच्चारण से आलस्य में कमी आती है। शरीर में फूर्ती बढ़ती है। और काम में मन लगने लगता है। ऊँ के उच्चारण से थकान से आजादी मिलती है। आँखें बन्द करके ऊँ का उच्चारण अवश्य करना चाहिए। धीरे धीरे शरीर में बल बढ़ने लगता है। ऊँ का उच्चारण रीढ़ की हड्डी,तंत्रिका तंत्र,और आन्तरिक अंगों पर अपना प्रभाव अवश्य डालता है। इससे यह सभी अंग स्वस्थ रहते हैं। और रोगों की संभावना भी बहुत ही कम हो जाती है। साँस से संबधित रोगों में ऊँ का उच्चारण लाभदायक है। यह फेफड़ों,गले,नाक सभी अंगों पर प्रभावशाली असर डालता है।
ऊँ का नियमित पन्द्रह से बीस मिनट रोज उच्चारण करना चाहिए। आँखें बन्द करके शान्ति से एकाग्र होकर इसका उच्चारण अवश्य करें। इसका नियमित अभ्यास आपके जीवन में भारी बदलाव ला सकते हैं। आप स्वंय करके इन लाभों का अनुभव ले सकते हैं।