Story of Ganga in Hindi: Ganga नदी को मोक्षदायिनी और जीवनदायिनी के नाम से जाना जाता है। Hindu Dharam में भी मां गंगा का विशेष महत्व है। यह भारत की सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक है, जो India, Nepal और Bangladesh में कुल मिलाकर 2525 किलोमीटर की दूरी तय करती है।
Ganga नदी को न केवल स्वच्छ और शुद्ध पानी के लिए जाना जाता है, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी इनका विशेष महत्व है। Hindu Dharam में इन्हें देवी के रूप में पूजा जाता है।
भारतीय Vedas and Puranas में मां Ganga के संदर्भ में विस्तार से बताया गया है। एक मान्यता यह है कि जो व्यक्ति अपने जीवन काल में एक बार भी मां Ganga में स्नान कर लेता है, उसके न केवल इस जन्म के बल्कि पूर्वजन्म के पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
Story of Ganga in Hindi: मां गंगा के उद्गम की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, Raja Bali नामक शासक ने Lord Vishnu को प्रसन्न करके पृथ्वी लोक पर अपना अधिकार जमा लिया था और स्वयं को भगवान समझने लगा था। अहंकार में चूर होकर Raja Bali ने देवराज इंद्र को युद्ध के लिए ललकारा। स्वर्गलोक पर खतरा मंडराता हुआ देख देवराज इंद्र Lord Vishnu से मदद मांगने पहुंचे। तब Raja Bali के उद्धार के लिए Lord Vishnu ने Vaman रूप धारण कर लिया।
उसी समय Raja Bali अपने राज्य की सुख-समृद्धि के लिए अश्वमेध यज्ञ करवा रहा था। जिसमें उसने विशाल ब्राह्मण भोजन का आयोजन किया और उसे दान दक्षिणा दी। तभी Lord Vishnu Vaman रूप में Raja Bali के पास पहुंचे। Bali को यह आभास हो गया था कि Lord Vishnu ही उनके पास आए हैं।
Raja Bali ने जब ब्राह्मण से दान मांगने के लिए कहा, तब भगवान वामन ने राजा बलि से तीन कदम जमीन दान के रूप में मांगी। यह सुनकर राजा बलि खुशी-खुशी तैयार हो गया।
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तब Lord Vishnu ने अपना विकराल रूप धारण किया। उनका पैर इतने विशाल हो गए कि उन्होंने पूरी पृथ्वी को एक पैर से नाप लिया और दूसरे पग से पूरे आकाश को। इसके बाद Vaman भगवान ने पूछा कि वह अपना तीसरा पग कहां रखें।
तब राजा बलि ने कहा कि ‘मेरे पास देने के लिए और कुछ नहीं है’ और अपना शीश झुका कर कहा कि वह अपना तीसरा पग उसके शीश पर रख दें। तब Vaman भगवान ने ऐसा ही किया और ऐसे राजा बलि पाताल लोक में समा गया।
पौराणिक कथा के अनुसार, जब Lord Vishnu ने अपना दूसरा पैर आकाश की ओर उठाया था, तब Brahma जी ने उनके पैर धोए थे और उस जल को कमंडल में भर लिया था। जल के तेज से ब्रह्मा जी के कमंडल में मां Ganga का जन्म हुआ था। कुछ समय बाद Brahma जी ने उन्हें पर्वतराज हिमालय को पुत्री के रूप में सौंप दिया था। एक कथा यह भी प्रचलित है कि जब भगवान Vaman ने अपना एक पैर आकाश की ओर उठाया था तब उनकी चोट से आकाश में छेद हो गया था। इसी से तीन धाराएं फूट पड़ी थीं। एक धारा पृथ्वी पर गिरी, दूसरी स्वर्ग में और तीसरी पाताल लोक में चली गई। इसलिए मां Ganga को त्रिपथगा के नाम से भी जाना जाता है।