इस Temple को लेकर माना जाता है कि जब भगवान विष्णु चारों धामों की यात्रा पर जाते थे तब वो भारत के उत्तरी ओर उत्तराखण्ड के चमोली मे बना बद्रीनाथ में स्नान करते, जिसके बाद पश्चिम में गुजरात के द्वारका में वस्त्र पहनते हैं, फिर पुरी में भोजन करते और दक्षिण के रामेश्वरम में विश्राम करते, जिसके बाद भगवान कृष्ण पुरी में निवास करने लगे और बन गया ये जग के नाथ जगन्नाथ का मंदिर। हर साल भगवान जगन्नाथ के मंदिर में जून-जुलाई के महीने में विशाल रथयात्रा का आयेजन किया जाता हैं।
पुरी से शुरू होने वाली जगन्नाथ रथयात्रा केवल दक्षिण भारत ही नहीं बल्कि पूरे देशभर के एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार में से एक है। इसमें हर साल लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। माना जाता है कि इस रथ की रस्सी खींचने या छूने से ही आपको मोक्ष का प्राप्ति हो जाती है। इस रथ यात्रा में को बड़े ही धूम-धाम से निकाला जाता है। इसमें तीनों देवी-देवता को अलग-अलग सुसज्जित रथ में विराजित किया जाता है। जो कि अपने आप में ही अनोखा है। लेकिन विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ जी के मंदिर में कई ऐसे अनोखी बातें हैं जिनके बारें में बहुत ही कम लोग जानते हैं।
गुंबद की कभी नहीं बनती परछाई
यह World का सबसे भव्य और ऊंचा मंदिर है। यह मंदिर 4 लाख वर्गफुट में क्षेत्र में फैला है और इसकी ऊंचाई लगभग 214 फुट है। मंदिर के पास खड़े रहकर इसका गुंबद देख पाना असंभव है। मुख्य गुंबद की छाया दिन के किसी भी समय अदृशय ही रहती है। यानी कि कोई परछाई नहीं दिखाई देती हैं।
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हवा के विपरीत लहराता ध्वज
जगन्नाथ मंदिर के शिखर में एक लाल रंग का ध्वज लगा हुआ है जो अपने आप पर अनोखा है। इसके पीछे एक बड़ी वजह है और वो है इसका हवा में विपरीत दिशा में लहराना। जिसके बारें में अभी कोई नहीं जान पाया कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता हैं। इसके साथ ही रोजाना शाम के समय इस ध्वज को किसी व्यक्ति के द्वारा चढ़कर उल्टा किया जाता हैं। इस ध्वज पर शिव का चंद्र बना हुआ है।
रहस्यमयी हैं शिखर पर लगा सुदर्शन चक्र
इस Temple के शिखर में लगा सुदर्शन चक्र आप पुरी से कहीं से भी देख सकते है। इसे नील चक्र के नाम से जाना जाता हैं। यह चक्र अष्टधातु से मिलकर बना है। साथ ही इसे अधिक पवित्र भी माना जाता हैं। लेकिन इस सूदर्शन चक्र की सबसे बड़ी खासियत यह है कि आप किसी भी जगह से देखेगे ये हमेशा सामने से दिखेगा।