Shrinath Ji Temple History in Hindi: श्रीनाथ जी का मंदिर राजस्थान में स्थित है इस मंदिर में श्री कृष्ण के बाल रूप की प्रतिमा वहाँ पर देखी जाती है। कहा जाता है कि श्री कृष्ण जी सात साल की उम्र में यहा पर प्रकट हुए थे। श्रीनाथजी वैष्णव सम्प्रदाय के देव कहलाते हैं। बताया जाता है कि श्रीनाथ जी का पहले मुख और हाथो के दर्शन पहले हुए और उनको पहले पूजा गया और माधवेंद्र पुरी के लोगो ने श्री कृष्ण की पूजा करना शुरू किया फिर बाद मे इनको श्रीनाथ जी का नाम दिया गया।
Shrinath Ji Temple History in Hindi
श्रीनाथ जी कैसे नाथद्वार से क्यों गए:
कहा जाता है श्रीनाथ जी नाथद्वार से पहले बहुत बार उन्होंने अपना स्थान बदला अंत में वह नाथद्वार दोबारा पधारे थे। कहा जाता है कि जब औरंगजेब ने हिंदू मंदिरों का नामो निशान मिटाने का सोचा था तो वहाँ के महंत जी श्रीनाथ जी की प्रतिमा को लेकर वृंदावन से जयपुर पहुँचे थे। उसके बाद वह उनको लेकर पटौदी में 6 महीने रुके थे, इसलिए पटौदी से उनका बहुत गहरा संबंध है। और जब तक लोगो को इस बात का पता चलता उस से पहले कोठारिया के ठाकुर और महाराणा राजसिंह जी मेवाड़ ने अपने प्राणो पर खेल कर श्रीनाथ जी को नाथद्वार में स्थापित कर दिया।
श्रीनाथ जी के मंदिर में मनाये जाने वाले त्यौहार:
श्रीनाथ जी के मंदिर में सभी त्यौहार बड़ी ही धूम धाम से मनाये जाते है और सभी हिंदू त्यौहारों को मान्यता दि जाती है। श्रीनाथ मंदिर में मनाये जाने वाले वाले त्यौहार- दीपावली, जन्माष्टमी, दशहरा, मकर संक्रांति,
जो वहाँ के क्षेत्र में त्यौहार मानये जाते है उनको भी मान्यता दी जाती है और उस दिन श्रीनाथ जी का श्रृंगार व प्रसाद तैयार किया जाता है।
क्या है श्रीनाथ जी की दाढ़ी में छुपे हीरे की कहानी:
कहा जाता है जब औरंगेब मंदिर को नष्ट करने आया था तब भगवान श्रीनाथ ने उसको अंधा कर दिया था उसकी नेत्रों की शक्ति को नष्ट कर दिया था। तब उसने अपनी दाढ़ी से मंदिर की सीढियाँ साफ़ कर भगवान से माफ़ी माँगी और उनसे विनती की उसके नेत्र लोटा दे तब भगवान ने उसको माफ़ कर उसके नेत्र लोटा दिये और खुश होकर उसने बेश कीमती हीरा उपहार में मंदिर को दिया। जिसको आज भी श्रीनाथ जी की दाढ़ी में लगाया जाता है।