Religious Facts in Hindi: भगवान गणेश की सूंड दांयी ओर है या बांयी ओर होनी चाहिए, यह अक्सर हम सूंड की नोक को देखकर तय करते हैं। लेकिन अगर हम अपने वेद और शास्त्रों का Study करें तो पाएंगे कि यह Assessment ही गलत है।
आमतौर से माना यह जाता है कि भगवान गणेश की सूंड किस ओर मुड़ी है इसका फैसला सूंड के निचले हिस्से यानि नोक पर Dependent होता है। लेकिन ऐसा नहीं है। सूंड जिस दिशा में हो उसी दिशा में भगवान गणेश की मूर्ति की दिशा तय नहीं होती। बल्कि सूंड का Upper Part जिस ओर मुड़ा हो उस ओर ही उस प्रतिमा की Right Direction माना जाना चाहिए। अगर प्रतिमा की सूंड का ऊपरी हिस्सा बांयें ओर है और सूंड का निचला हिस्सा दांयीं ओर है तो प्रतिमा को बांयी ओर की दिशा में घूमा ही माना जाएगा। इसका कारण है कि अगर सूंड का शुरूआती हिस्सा Right Side है तो वह सूर्य की ओर इशारा करता है और बताता है कि गणपति की नाड़ी इस वक्त Active State में है।
दांयी तरफ मुड़ी सूंड
जिन गणेश प्रतिमा की सूंड Right Side मुड़ी होती है उन्हें दक्षिण मुखी या दक्षि-नाभिमुखी मूर्ति कहा जाता है। दक्षिण मुखी का अर्थ है दक्षिण दिशा या दांयी ओर। South Direction को मृत्यु के देवता यमराज का क्षेत्र माना जाता है जिसे यमलोक भी कहते हैं। इसके अलावा South Direction सूर्य नाड़ी का भी प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए यह माना जा सकता है कि जो यमलोक का सामना करने में सक्षम है वो शक्तिशाली है। साथ ही जिसकी सूर्य नाड़ी सक्रिय है वह भी दिव्य शक्ति रखता है। इसलिए दोनों ही मान्यताओं में यह सिद्ध होता है कि बांयी ओर सूंड वाली गणेश प्रतिमा Waking State में है यानि हमें शुभ फल देती है।
बाद का लेखा-जोखा भी कहते हैं। लेकिन South Direction को बुरा तब माना गया है जब जीवित व्यक्ति उस ओर पैर करके सोता है। दक्षिणामुखी प्रतिमा की पूजा सामान्य तौर से नहीं की जाती क्योंकि त्रियक (राज) आवृत्तियां दक्षिण से ही उत्सर्जित होती हैं। बल्कि पूजा के पूरे विधि-विधान के साथ यह पूजा की जाती है इसलिए South Direction से जुड़ी बुराइयों का इस पर कोई Effect नहीं पड़ता।
बांयी ओर मुड़ी सूंड
Left Side मुड़ी सूंड की गणपति प्रतिमा को वाममुखी कहते हैं। वाम का अर्थ होता है North Direction या Left Side बांयी ओर ही चंद्र नाड़ी होती है। यह Calmness प्रदान करती है। इसके अलावा North Direction को अध्यात्मिक रूप से अच्छा माना जाता है और यह Pleasure का अहसास कराती है, इसलिए वाममुखी गणपति की पूजा भी की जाती है। यह पूजा परंपरागत तरीके से की जाती है।