तेज पत्ता जिसे अंग्रेजी में Bayleaf कहते हैं। उसे खाने में खुशबू और स्वाद के लिए प्रयोग किया जाता रहा है। यह पत्ता कई तरह के मसालों में भी प्रयोग होता रहा है। इसके अनेकों उपयोगी विटामिन ,खनिज पदार्थ पाए जाने के कारण इसका उपयोग आयूर्वेदिक दवाओं में होता है। इसमें ताँबे के गुण पाए जाते हैं,इसके साथ ही इसमें पोटेशियम,कैलशियम,मैगनीशियम, मिनरल,कॉपर,आयरन,फोलिक एसिड पाए जाते हैं।
इसकी सेवन करने की विधी और मात्रा:
इसकी सेवन करने की मात्रा एक से तीन ग्राम है। ज्यादा से ज्यादा चौथाई चम्मच या आधा चम्मच प्रयोग में लाया जाता है। इसका सेवन दिन में दो या आवश्यक्ता अनुसार तीन बार भी प्रयोग किया जाता है। इसका पाउडर,काढ़े और लेप बनाकर प्रयोग किया जाता है। लाभ प्राप्त करने के लिए औषधी लेने के आधे घंण्टे बाद तक कुछ ना खायें पिऐं व आवश्यक्ता अनुसार व रोग के अनुसार अन्य औषधियों के साथ प्रयोग किया जाता रहा है। इसकी तासीर गर्म होती है। सही मात्रा में लेने से इसका कोई साइड इफैक्ट भी नहीं होता।व इसकी आदत नहीं पड़ती है। रोग पुराना हो तो लम्बे समय तक डाक्टर प्रयोग करवाते हैं। एक से तीन महिने तक और नए रोग में हफ्ते पन्द्रह दिन में आराम हो जाता है। गंभीर रोगों में दवा का भी उपयोग करें, जो चल रही हैं।
इसका प्रयोग किन रोगों में कैसे करें?
मधुमेह में आने वाली कमजोरी को दूर करने के लिए यह दवा बनाकर रख लें।
तेजपत्ता,गुड़माड़,करेले के बीज,जामुन की गुठली सभी को सौ ग्राम में मात्रा में लेकर पाउडर बना लें व खाने से एक घंण्टा पहले एक चम्मच का सेवन करने से यह पेट के आमाशय को बल देता है, व सही मात्रा में इंसुलिन बनने लगता है। इस दवा के सेवन से सदैव स्वस्थ रहा जा सकता है।
नींद बहुत ज्यादा आने से ,या जो दिन में कभी भी सोते रहते हैं,उन्हें आधा चम्मच तेजपत्ता पाउडर रात को एक कप पानी में मिला कर रख दें।सुबह इसमें सेंधा नमक या खाँण्ड मिलाकर खाली पेट सेवन करें।इससे दिन में तरोतज़ा बने रहेंगे व रात में अच्छी नींद आती है।
चेहरे पर कील मुँहासे,काली झाँइयाँ झुरियों से परेशान है तो एक चम्मच तेज पत्ते के पाउडर में बेसन,गुलाबाजल डाल कर पेस्ट बनाकर आधा घंण्टा लगाकर पानी से धो लें। इससे डेड स्किन,दूर होती है,व चेहरे की नसें, ग्रन्थी एक्टिव होकर चेहरा चमकने लगता है।ऐसा हफ्ते में तीन बार करें।
माइग्रेन,सिरदर्द में एक कप पानी में चौथाई चम्मच पाउडर डाल कर उबाल कर आधा रहने पर उसमें शहद एक चम्मच डाल कर चाय की तरह पियें।इससे सिर की नसें मजबूत होती हैं,व सिर दर्द कभी नहीं होता है।
माईग्रेन,सिरदर्द में इसका एक चम्मच पाउडर पानी में घोल कर लेप बनाकर भी लगा सकते हैं। इससे सिर और गर्दन में लगाने से आराम मिलता है।
डैंड्रफ में इसके पाउडर का लेप लगाने से बाल स्वस्थ होते हैं:
गर्भवती महिलाऐं सामान्य प्रसव चाहती हैं तो ,इसका पाउडर चौथाई चम्मच रात को एक कप पानी में भिगो दें। सुबह एक चम्मच शहद,सेंधा नमक, या खांड तीनों में से एक चीज मिलाकर स्वाद अनुसार मिलाकर सुबह खाली पेट सेवन करें। यह गर्भावस्था के पहले तीन महीने और अखिरी तीन महीने प्रयोग करने से सामान्य प्रसव व ब्लडप्रैशर भी नहीं बढ़ता है। तेज पत्ता के पाउडर को रात भर भिगोने के कारण इसकी तासीर ठंण्डी हो जाती है। इसलिए यह फायदा करता है।
वायरस,इन्फैक्शन,फ्लू,या जैसे किसी भी प्रकार के हमले से बचाव के लिए इसका काढ़ा बना कर दो तरह से प्रयोग किया जा सकता है। इस काढ़े की विधि व प्रयोग इस तरह है:
तेजपत्ता-दो से तीन पत्ते,दालचीनी दो इंच टुकड़ा,सौंठ दो इंच टुकड़ा,दो लौंग मिला कर एक गिलास पानी में आधा रहने तक उबालें। इस गर्म काढ़े की नाक और मुँह से भाप लें व ठंण्डा होने पर इसे पी लेना चाहिए। इसे पीने के आधा घंण्टा तक कुछ भी खाए पिए नहीं। तभी असर तभी होता है। इससे खाँसी,जुखाम में भी आराम मिलता है। व रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। फिर कभी वायरस इंफैक्शन नहीं हाेता है। कैंसर के रोगी अपने इलाज के साथ साथ इस दवा को भी प्रयोग कर सकते हैं। रात को चौथाई चम्मच इसे भिगोकर सुबह खाली पेट पिऐं इससे कैंसर सैल धीरे धीरे समाप्त होने लगते हैं। इसका कोई साइड इफैक्ट नहीं है।
हृदय रोगों में ,तेज पत्ता और अर्जुन छाल का पाउडर सौ सौ ग्राम लें और मिला कर रख लें,व एक चम्मच पाउडर एक कप पानी में डाल कर आधा रहने तक उबालें। इसे शाम को खाने के एक घण्टे बाद लेने से अनेकों लाभ होते हैं जैसे-कलेस्ट्रोल,घटता है,ह्रदय की ध्वनियाँ व ह्रदय की नसें मजबूत होती हैं।
गठिया,वात रोग में भी यह लाभदायक है। तेज पत्ता,सोंठ,हल्दी तीनों 100 ग्राम लेकर पाउडर बना लें। एक कप पानी में आधा रहने तक उबालें व एक चम्मच सुबह शाम लेने से हड्डीयों की मजबूती बढ़ती हैं। और इस रोग को समाप्त करता है। इसी काढ़े को दर्द सूजन में लगा कर सिकाई करने से लाभ मिलता है।
जो बच्चे हकलाते हैं उनको सौ ग्राम पाउडर और सौ ग्राम गुड़ दोनों को कूट कर गोली बना लें। व बच्चे को सुबह शाम चूसने कर खाने को दें। इससे जुबान में लचक आती है और बोलने में आसानी होती है। यह दो से तीन महीने सेवन करना चाहिए।
जिनका पाचन तंन्त्र सही ढंग से काम नहीं करता,एसीडीटी,अपच,भूख ना लगना ,जी मितलाना और इसके कारण मन खराब रहता है वे इस दवा का प्रयोग करें:
तेजपत्ता और मुलैठी सौ ग्राम लौंग दस ग्राम तीनों को मिलाकर पाउडर बना लें। इसको चौथाई चम्मच शहद के साथ खाना खाने के आधे घण्टे बाद चाटने से पाचन शक्ती मजबूत होती है व पेट संबधी सभी समस्याओं से आराम मिलता है।
हरपीस रोग जिसमें कहीं भी हो जाता है। इसमें कहीं भी छाले पड़ जाते हैं और बहुत दर्द होता है। नारियल के तेल में इसका पाउडर मिलाकर लेप बनाकर इसे लगाने से स्थाई आराम मिलता है। यह वायरस इंफैक्शन है इसे मकड़ी चलना भी कहते हैं।
तेजपत्ते के प्रयोग में क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
इसकी तासीर गर्म होने के कारण पित प्रकृति के व्यक्ति को मात्र एक ग्राम ही प्रयोग करना चाहिए। अगर औषधी से माफिक नही आ रही हो तो इसे छोड़ दें। जरूरत से ज्यादा प्रयोग ना करें। अगर इसके लेप लगाने से खुजली हो तो इसका प्रयोग ना करें।