Nazar Dosh Kya Hota hai aur issey Kaise Bache: हम अपने बचपन से देखते आए हैं कि हमारी दादी,नानी ,माँ हमारी नज़र उतारती हैं। क्या सचमुच Nazar होती है? विज्ञान भी मानता है कि मानव के अच्छे बुरे विचार दूसरे पर अवश्य प्रभाव डालते हैं। जब हम किसी को अच्छी बाँतें या प्रशंसा करते हैं तो वह खुश होकर मुस्काराने लगता है। और किसी को निन्दा गाली देने पर वह व्यक्ति नाराज़ हो कर झगड़े गाली पर उतर जाता है।
यह प्रभाव प्रत्यक्ष प्रभाव है। पर कई बार Jealousy द्वेष वश कई लोग जलते हैं और मन ही मन बुरी भावना और विचार प्रकट करते हैं जो हमारे अन्तर मन पर बुरा प्रभाव डालते हैं। जो रोग,दुर्घटना,बेचैनी और घबराहट का कारण बन जाती है। यह मानव के अन्तर मन का विज्ञान है जो अपने चारों ओर की नाकारात्मक और साकारात्मक सभी तंरगों को ग्रहण करता रहता है।
जिसका प्रभाव मन और शरीर दोनों पर ही पड़ता है। इसका एक ठोस उदाहरण हमने कभी ना कभी देखा होगा जब एक कुशल सम्मोहन कर्ता किसी के मन की बात जान लेता है या किसी व्यक्ति को hypnotise करके अपने आदेश मनवा लेता है और व्यक्ति को पता भी नहीं होता कि उसने क्या किया है। यह कोई जादूगरी नहीं है,बल्कि यह कई वर्षों के अभ्यास से प्राप्त की गई एक कला है। जिसका उपयोग आज मानव मन और शरीर की चिकित्सा के लिए भी हो रहा है।
Nazar के विषय में हम बहुत सी बातें पढ़ते और सुनते हैं। जिनसे इन्कार नहीं किया जा सकता है। सदियों पहले ही हमारे पूर्वज इस रहस्य को समझते थे कि, मानव एक उर्जा का भंण्डार है। उस उर्जा से वह किसी का कल्याण भी कर सकता है और विनाश भी। पर अधिकतर लोग जानते भी नहीं कि वे अपनी उर्जा का उपयोग सिर्फ व्यर्थ की बातों में ही करते हैं। उन्हें पता ही नहीं है कि वे अपनी उर्जा का प्रयोग अपने कल्याण के लिए कैसे करें।? वे निर्थक प्रयासों और बातों में,या दूसरे को नीचा दिखाने में अपना जीवन व्यर्थ कर देते हैं।
Nazar dosh का यही सिद्वान्त है। इसके उपाय तो कहीं भी मिल जाएंगे पर इससे बचने का उपाय क्या है।
सबसे पहले व्यर्थ की डींग मारना,उपरी दिखावा करना छोड़ देना चाहिए। व्यर्थ के दिखावे के चक्कर में नाकारात्मक विचार व्यक्ति को झेलने अवश्य पड़ते हैं। कभी भी अपनी योजना और भविष्य के प्लान किसी को नहीं बताने चाहिए। वे या तो पूरे नहीं होते या बहुत परेशानी आती है। अपनी निजि या खास बातें कभी भी किसी से शेयर ना करें। क्योंकि आपको नहीं मालूम आप का भीतर से कौन मित्र है कौन शत्रु है। सबसे जरूरी है स्वंय को भीतर से Strong करना। और इसके लिए अपने Dharam और ईष्ट के लिए समय अवश्य निकालें। नियमित पूजा,आरती या उनका पाठ अवश्य करें। क्योंकि आपके ईष्ट भगवान की शक्ति अवश्य ही आपकी रक्षा करती है। Nazar Dosh तो बहुत छोटी बात है आने वाली आपदा और बाधाओं को जल्दी दूर कर देती है। यह हमेशा याद रक्खें कि ईश्वर,गुरु,माता पिता से बढ़कर कोई परम हतैषी नहीं होता। इसलिए नियमित प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष इनका आर्शीवाद लेते रहना चाहिए। ये सदैव आपकी सफलता ,स्वास्थय,और उन्नति में सहायक हैं। यह तो निश्चित है कि जीवन में कष्ट और बाधाऐं अवश्य आऐंगी। पर इनका आशीष हर कष्ट बाधा से बाहर निकालने की क्षमता रखता है।