Navratri Vrat Vidhi: नवरात्रि पूजन हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है इस दिन माता की पूजा कर नौ दिन का उपवास रखते है नवरात्रि को सभी लोग बड़े धूमधाम से मनाते है। नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ रूपो की पूजा की जाती है उपवास रखना यह भगतों के ऊपर निर्भर करता है, यदि कोई नौ दिन का उपवास नहीं रख सकता तो वह माँ दुर्गा के दो दिन उपवास रख माँ की पूजा अर्चना करता है।इस उपवास को सभी अपने तरीक़े से करना पसंद करते है कुछ भगत फल खा कर उपवास करते है और कुछ नामक खा कर इस उपवास को पूर्ण करते है। तो आज हम आपको बतायेगे नवरात्रि व्रत की विधि और पूजन किस प्रकार से करे।
Navratri Ka Vrat Kaise Rakhe
नवरात्रि पूजन सामग्री:
सबसे पहले आता है नवरात्रि के पूजन में कौन सी सामग्री आवश्यक है। उसका हमे पहले से ध्यान रखना चाहिए उसके बाद पूजन शुरू करना चाहिए तो चलिए बात करते है महत्वपूर्ण सामग्री के बारे में सबसे प्रथम आता है माता का शृंगार।
माता का शृंगार:
सबसे महत्वपूर्ण होता है माता रानी का शृंगार माता रानी के शृंगार सबसे प्रथम चुनरी, चुड़िया, बिंदी, लिपस्टिक, सिंदूर, शीशा, नेलपॉलिश, मेहँदी, पायल, आदि सामान होना चाहिए।
अखंड दीया:
माता के नौ दिनों के उपवास में यह दिया पूर्ण रूप से नौ दिन तक जलता है आपको हमेशा यह ध्यान रखना है इसमें कभी भी घी या तेल कम ना हो यह पूर्ण रूप से नौ दिनों तक बिना रुके जलना चाहिए। इस से आपके घर की सारी नकारात्मक चीज़ दूर रहती है। यदि आप अखंड दिया नहीं पूर्ण कर सकते तो आप सुबह श्याम भी दीपक जला सकते है।
कलश और नारियल:
आपको एक कलश तैयार करना है उस में गंगाजल भर कर और उसके अपर चुनरी में लपेट कर नारियल को नौ दिनों तक मंदिर के स्थान पर रखना है। नौ दिन के बाद जिस दिन कन्या पूजन होता है उस दिन उस नारियल का प्रसाद सबको देना है और चुनरी छोटी कन्या को पहनानी है।
नवरात्रि व्रत में पूजा विधि:
नवरात्रि की पूजा सुबह नहा धो कर साफ़ वस्त्र पहन कर आरंभ की जाती है। सबसे पहले आपको दीप धूप माता के चरणों में जला कर पूजा आरंभ करनी है उसके बाद आपको माता को ताजे फूलो की माला अर्पण कर पुष्प चढ़ाने है। उसके बाद आपको भोग के लिए प्रसाद में फल वह मेवा का एक मिश्रण बनाना है। उसके बाद आपको आरती कर माता रानी का आशीर्वाद लेना है।
इसी प्रकार आपको शाम की आरती भी करनी होती है और धूप दीप जला कर और शाम को भोग लगना होता है।
नवरात्रि में नौ दिन का महत्व और माता को लगाया जाने वाला भोग:
सबसे प्रथम दिन शैलपुत्री माँ का होता है:
सबसे प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा अर्चना कर भोग में गाय के दूध से बने व्यंजन का भोग लगया जाता है यह आपके जीवन में सुख और समृद्धि लाता है।
दूसरा दिन भ्रमचारिणी माँ का होता है:
दूसरे दिन माँ भ्रमचारिणी की पूजा अर्चना कर उनको प्रसन्न किया जाता है और भोग में फल और शक्कर आदि का भोग लगाया जाता है इस से आपके परिवार के सदस्यों की उम्र में वृद्धि होती है।
तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा का होता है:
तीसरे नवरात्रे में माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है और माँ के लिए खीर और तरह तरह की मिठाई का भोग लगाया जाता है जिस से माँ प्रसन्न हो कर दर्द और कष्ट को दुर्क करती है।
चौथा दिन माँ कूष्मांडा का होता है:
चौथे नवरात्रे में माँ कूष्मांडा की पूजा की जाती है और माँ से बुद्धि और विवेक का फल माँगते है इस दिन माँ को मालपुए का भोग लगा कर माँ को प्रसन्न किया जाता है जिस से वह अपनी कृपा सदैव हम पर बना कर रखती है।
पाँचवा दिन माँ स्कंदमाता का होता है:
पाँचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा की जाती है और माता को केले का प्रसाद अर्पण किया जाता है और उसके बाद सबको बाटा जाता है इस से माँ आपको शारीरिक रूप से आपको स्वस्थ रखती है।
छठा दिन माँ कात्यानी का होता है:
छठवें दिन माँ कात्यानी की पूजा की जाती है माँ कात्यानी को स्वास्थ्य और सौंदर्य की देवी माना जाता है इस दिन आप शहद माँ को अर्पण करे और किसी पंडित को भी भोजन करा सकते है।
सातवां दिन माँ कालरात्रि का होता है:
सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है और माँ कालरात्रि पर गुड से बने व्यंजन का भोग लगाया जाता है। माँ कालरात्रि आपने जीवन से सभी दुख और बुराइयो को दूर करती है।
आठवां दिन माँ महागौरी का होता है:
आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती है और इस दिन नारियल का भोग लगता है कुछ लोग कन्या पूजन इस दिन भी करते है।
नौवां दिन माँ सिद्धिदात्री का होता है:
नवरात्रि के नौवे दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है और तिल का भोग लगाया जाता है यह सभी सिद्धियों की देवी होती है।
कन्या पूजन विधि:
घर में बनने वाला भोग:नवरात्रि के नौवे या आठवें नवरात्रि को लोग कन्या पूजन करते है इस दिन माँ को हलवा चने और पूरी का भोग लगाया जाता है और कन्या को घर में बुला कर उनको बेठ कर भोजन करा कर दक्षिणा दी जाती है, और अंत में कन्या आशीर्वाद दे कर जाती है जिस से आपके व्रत पूर्ण होने का फल आपको मिलता है।