Mohammad Rafi Fact in Hindi: मोहम्मद रफी आज बेशक ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उन्होंने Music Industries को इतने खूबसूरत और सदाबहार गाने दिए हैं कि कभी ऐसा लगता ही नहीं है कि वह सालों पहले इस दुनिया से रुखस्त हो गए हैं।
” गूंजती है तेरी आवाज़ अमीरों के महल में, झोपड़ों के गरीबों में भी है तेरे साज, यूं तो अपने मौसिकी पर साहब को फक्र होता है मगर ए मेरे साथी मौसिकी को भी आज तुझ पर है नाज” मशहूर Music Director नौशाद के ये चंद शब्द आज भी आंखें नम कर देते हैं, क्योंकि, ये लाइनें उन्होंने सिनेमा के सदाबहार गायक मोहम्मद रफी साहब की याद में लिखी थीं।
मोहम्मद रफी का संगीत सुन आज भी लोग इसलिए मदहोश हुए जाते हैं, क्योंकि रफी साहब खुद भी संगीत के लिए दीवाने थे। Music के लिए उनका प्यार उनके हर गाने में झलकता है।
Mohammad Rafi Fact in Hindi
- बेहद दिलचस्प है ये किस्सा:
वैसे तो रफी साहब का हर गाना यादगार है सभी के पीछे एक मज़ेदार किस्सा ज़रूर होता था। हालांकि, इस पोस्ट में हम उनके उस गाने के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसे गाते हुए उनके गले से खून बहने लगा था। इस किस्से का जिक्र Music Director नौशाद की बायोग्राफी ‘नौशादनामा: द लाइफ एंड म्यूजिक ऑफ नौशाद’ में भी किया गया है।
- घंटों रियाज करते थे रफी साहब:
दरअसल, 1952 में Release हुई फिल्म ‘बैजू बावरा’ में मोहम्मद रफी ने ‘ओ दुनिया के रखवाले’ गाना गाया था। यह गाना Superhit रहा, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि इस गाने के लिए रफी साहब ने कड़ी मेहनत की थी। उन्हें इस गाने के लिए कई दिनों तक घंटों-घंटों बैठकर रियाज करना पड़ता था क्योंकि, इस गाने के लिए उन्हें अपनी आवाज़ को काफी ऊंचे स्केल पर रखना पड़ता था।
- गले से बहने लगा था खून:
कई दिनों की मेहनत के बाद आखिरकार यह गाना पूरा हो ही गया। कहते हैं कि गाने की Final Recording खत्म होने तक मोहम्मद रफी साहब के गले से खून तक बहने लगा था। उनके गले की हालत काफी खराब हो चुकी थी। इसके बावजूद उन्होंने कभी इसकी शिकायत या अपनी तकलीफ नौशाद जी को नहीं बताई, जो इस फिल्म के Music Director थे। हालांकि, इसके बाद कई दिनों तक रफी साहब कोई गाना नहीं गा पाए थे।
- एक कैदी ने जाहिर की आखिरी इच्छा:
मोहम्मद रफी साहब के इस गाने को लेकर एक किस्सा बहुत चर्चा में रहा है। नौशाद जी ने ही एक बार एक कार्यक्रम में बताया था कि ‘ओ दुनिया के रखवाले’ गाने ने हर इंसान के दिल में एक खास जगह बनाई है। उन्होंने बताया था कि एक कैदी को फांसी दी जा रही थी। इस दौरान जब उससे उसकी आखिरी इच्छा पूछी गई तो उसने रफी साहब के इसी गाने को सुनने की इच्छा जाहिर की। इसके बाद जेल के Recorder में यह गाना बजाया गाया और इसके बाद ही कैदी को फांसी दी गई। इसी दौरान वहां मौजूद ज्यादातर लोगों की आंखें नम हो गई थीं। तो ऐसा था रफी साहब की आवाज़ का जादू।