Mahadev Ke 10 Rudra Ke Naam: हमारे महादेव के बारे में तो कौन नहीं जानता है भगवान शिव के अनेक रूपो के बारे में हमने सुना है और सभी उनकी भागती करते है आज हम आपको महादेव के ग्यारह रुद्र अवतार के बारे मे बतायेगे और उन्होंने रुद्र अवतार किस लिये किया उसकी भी हम आपके साथ चर्चा करेगे।
कहा जाता है भगवान शिव ने सृष्टि के चक्र को तीव्रता प्रदान करने के लिए अपने 11 अमर व शक्तिशाली रूद्र रूप की संरचना की थी। आपको भगवान शिव कुछ जगह रौद्र रूप में दिखाई देगे और कुछ जगह वह आपको शांत और सौम्य रूप में दिखेगे यह दोनों ही एक दूसरे के पूरक है।
रुद्र का क्या अर्थ है:
रुद्र का अर्थ होता है आपके जीवन से सारी समस्याएं और चिंताओं को दूर करना जिस से रू का अर्थ है, चिंता और द्र का अर्थ होता है दूर करना। इसलिए इसको रुद्र कहा जाता है। तो आज हम बात करेगे भगवान शिव के ग्यारह रुद्र अवतार के बारे में जिन्हें बहुत कम लोग जानते है और उस से पूरी तरह परिचित नहीं है।
Mahadev Ke 10 Rudra Ke Naam भगवान शिव के 10 रुद्र अवतार
- महाकाल:
भगवान शिव के पहले रुद्र अवतार महाकाल को माना जाता है शिव पुराण में भी भगवान शिव के रुद्र अवतार का वर्णन किया गया है। इस अवतार कि शक्ति माँ काली को माना जाता है। भगवान शिव ने यह अवतार दूषण नाम का असुर था उसका वध करने के लिए लिया था और इस अवतार कि शक्ति माँ काली है। उज्जैन में महाकाल नाम से ज्योतिर्लिंग है और विशाल मंदिर विख्यात है। लोग दूर- दूर से इस की पूजा करने आते है। और उज्जैन में ही गढ़कालिका में मां कालिका का प्राचीन मंदिर भी है। - तारकेश्वर:
भगवान शिव का दूसरा अवतार तारकेश्वर है जिसको तारा नाम से भी जाना जाता है। इस अवतार कि शक्ति तारा देवी मानी जाती है। भगवान शिव ने यह अवतार तब लिया था जब तारकासुर उनके पुत्र कार्तिकेय से हार गया था और मृत्यु के समय उनकी प्रतीक्षा कर रहा था तब भगवान शिव ने तारकेश्वर रूप में उन्हें दर्शन दिये थे। पश्चिम बंगाल के वीरभूम में स्थित द्वारका नदी के पास महाश्मशान में स्थित है तारा पीठ वाह लोग इसका दर्शन करने भी जाते है। - बाल भुवनेश:
भगवान शिव का तीसरा रुद्र रूप है,बाल भुवनेश भगवान शिव की इस रूप कि शक्ति बाला भुवनेशा है।दस महाविद्या में से एक है माता भुवनेश्वरी। माता भुवनेश्वरी का शक्तिपीठ उत्तराखंड में है। मां भुवनेश्वरी का मंदिर पौड़ी गढ़वाल में कोटद्वार सतपुली-बांघाट से थोड़ा दूर मध्य नारद गंगा के तट पर मणिद्वीप में स्थित है। - षोडश श्रीविद्येश:
हमारे महादेव का चौथा अवतार है षोडश श्रीविद्येश इस अवतार कि शक्ति देवी षोडशी है। दस महा-विद्याओं’ में तीसरी महा-विद्या भगवती षोडशी है। कहाँ जाता है, त्रिपुरा के उदरपुर के पास राधाकिशोरपुर गांव के माताबाढ़ी पर्वत शिखर पर माता का दायाँ पैर गिरा था। इसकी शक्ति है त्रिपुर सुंदरी और भैरव को त्रिपुरेश कहते हैं। - भैरव:
भगवान शिव का पाँचव अवतार भैरव माना जाता है जिसकी शक्ति है, भैरवी। भगवान शिव ने भैरव रूप अंधकासुर नाम का एक दैत्य था उसका वध करने के लिए किया था। उज्जैन के शिप्रा नदी तट पर स्थित भैरव पर्वत पर मां भैरवी का शक्तिपीठ माना जाता है, जहां उनके ओष्ठ गिरे थे। - छिन्नमस्तक:
भगवान शिव का छठा रुद्र अवतार छिन्नमस्तक नाम से अधिक प्रसिद्ध है। इस अवतार की शक्ति माता छिन्नमस्ता को माना जाता है। यह अवतार भगवान शिव का शीश रहित अवतार है। मां छिन्नमस्तिका का विख्यात सिद्धपीठ झारखंड की राजधानी रांची से थोड़ा दूर रामगढ़ में है। - द्यूमवान:
भगवान शिव का सातवाँ अवतार द्यूमवान है, इस अवतार कि शक्ति को देवी धूमावती माना जाता है। देवी धूमावती का मंदिर मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ ‘पीताम्बरा पीठ’ के प्रांगण में स्थित है। पूरे भारत में माँ धूमावती का यही एक मंदिर है, जिसकी सबसे अधिक मान्यता है और लोग दूर- दूर से इसकी पूजा अर्चना करने आते है। - बगलामुख:
भगवान शिव का आठवाँ रुद्र अवतार है, बगलामुख इस अवतार कि शक्ति को देवी बगलामुखी के नाम से जाना जाता है। बगलामुखी के तीन प्रसिद्ध शक्तिपीठ हैं- 1. हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थित बगलामुखी मंदिर, 2. मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित बगलामुखी मंदिर और 3. मध्यप्रदेश के शाजापुर में स्थित बगलामुखी मंदिर। लेकिन सबसे अधिक मान्यता जो है वह हिमाचल के कांगड़ा में अधिक है। - मातंग:
भगवान शिव का नौवा अवतार है मातंग इसकी शक्ति देवी मातंगी को माना जाता है। मातंगी देवी जो की राजमाता दस महाविद्याओं की एक ही देवी है। माता देवी का स्थान झाबुआ के मोढेरा में है। - कमल:
भगवान शिव का दसवा अवतार का नाम कमल नाम से जाना जाता जिसकी शक्ति देवी कमला मानी जाती है।