Hindu Dharam में साधुओं का एक विशेष महत्व है। इन्ही में से उनका पहनावा ही उनके बारें में बता देता है कि वह किस तरह के साधु-संत है। इनको वेश-भूषा एक साधारण इंसान से बिल्कुल अलग होती है।
ये ऐसे साधु होते है जो अपने शरीर में भस्म, जटाएं, कानों में कुंडल, गले में रुद्राक्ष की माला और कुछ तो अर्धनग्न और हाथ में चिमटा, त्रिशुल और कंमडल लिए रहते है। इन्हे साधु बनने में कई साल लग जाते है। जिसके बाद ही वह सिद्ध साधु कहला पाते है।
इनसे जुड़ी कई ऐसी चीजे होती है। जो कि हमारे लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र बनी रहती है। इन्ही चीज़ों में एक चीज़ है इनके द्वारा जलाई गई धुनी। जो कि साधुओं के जीवन का एक अंग है। और इन साधुओं के द्वारा जुलाई गई धुनी के पीछे कई सारी रोचक बातें छिपी हुई है।
हर साल अप्रैल-मई में उज्जैन में सिंहस्थ मेला आयोजित किया जाता है। जिसमें दूर-दूर से साधु, नागा साधु का उज्जैन आने का सिलसिला लगा रहता है। आप यहां पर भी साधुओं को धुनी लगाएं देख सकते है। धुनी के बारें में कुछ रोचक है जिन्हें जानकर आप आश्चर्यचकित हो जाएगे। आइए जानते है इस पोस्ट के माध्यम से।
साधुओं की धुनी के बारें में जानें ये रोचक तथ्य
1. आपने देखा होगा कि नागा साधु कहीं भी जाते है तो वह सबसे पहले धुनी जलाते है। अगर वो कहीं य़ात्रा में निकले है तो वह धुनी नहीं जलाते है।
2. जब भी आप धुनी देखते होगे तो आपको लगता होगा कि यह तो साधारण सी धुनी है, लेकिन ऐसा नहीं होता, इन साधुओं द्वारा जलाई गई धुनी शुभ समय पर सिद्ध मंत्रों से जलाया जाता है।
3. कभी भी हर साधु यह धुनी अकेले नहीं जला सकता है। इसे जलाने के लिए उसके गुरु का होना बहुत ही ज़रूरी होता है।
4. कहा जाता है कि उगर एक बार धुनी जल गई तो वह हमेशा जलनी चाहिए। इसी कारण साधु हमेशा उस धुनी के पास ही रहता है। अगर उसे कोई काम है तो उसका सेवक वहां पर उपस्थित रहेगा।
5. साधुओं के चिमटा और धुनी के बीच बहुत ही गहरा संबंध होता है। इस चिमटे का सिर्फ एक ही उपयोग होता है वह है धुनी की सेवा करना।
6. इस धुनी के बारें में मान्यता है कि अगर कोई साधु धुनी के पास बैठा है तो उस समय उसके द्वारा कही हर बात सच होती है। साथ ही उस समय जो भी आशीर्वाद देते है। वह भी पूर्ण होता है।