आस्था की भावना क्या है?
मनुष्य जीवन में आस्था की भावना इस जीवन को जीने के लिए जरूरी है।आस्था मन से जुड़ा एक ऐसा भाव है जो कई बार मुश्किलो से भी इन्सान को बाहर ले आता है।आस्था का भाव जुड़ा है उस अदृश्य परम सत्ता से जिसे हम भगवान ईश्वर कहते हैं।
यह आस्था ही हे कि हम मुसीबत हो या कोई कामना हम भगवान से प्रार्थना करते हैं और हमारी समस्याओं का हल हमें मिल जाता है।आस्था अंधविश्वास नहीं हे।यह मानव मन की विश्वास की शक्ति है।यह आस्था ही है कि कोई भी राकेट उड़ाने से पहले इसरो के वैज्ञानिक उसका मॉडल भगवान को मंदिर में चढ़ाकर उसकी सफलता के लिए प्रार्थना करते हैं।यह हमारी आस्था ही है कि ईश्वर के चरणों में झुककर प्रार्थना करने से स्वंय में यह भरोसा होने लगता है कि ईश्वर हमारे साथ हैं।हमे सफलता अवश्य मिलेगी।
क्या आस्था के साथ-साथ खुद पर भरोसा और कर्म भी महत्वपूर्ण है?
आस्था के साथ स्वंय पर विश्वास मी बहुत जरूरी है। क्योंकि स्वंय के फैसले और कर्म पर विश्वास करके ही सफलता प्राप्त होती है।इसके हमें बहुत सारे उदाहरण मिलते हैं।सबसे प्रसिद्ध उदाहरण हमारे संत जन हैं।मीरा जिसने कृष्ण पर आस्था रखकर उन्हें सच में ही प्रकट कर लिया था।जो विष पीकर भी जीवित रह गई।
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किसी भी महान व्यक्ति के जीवन में जायें तो उनके जीवन में ईश्वर ,गुरु के प्रति आस्था का गहरा महत्व जरूर २हा होगा।हमारे प्रधान मंत्री जी भी इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।स्वंय पर अपने कर्म पर विश्वास होना चाहिए।पर यह भी सच है कि हमसे उपर भी एक परम सत्ता है ।जिस पर सदैव आस्था श्रद्धा अवश्य रखनी चाहिए।
आस्था किस तरह काम करती है?
आस्था का संबध हमारे अन्तर मन से है।हमारे विज्ञान ने भी यह साबित किया है कि हमारे भीतर मन दो प्रकार के होते हैं एक जो हम अपने भीतर अनुभव करते हैं।जैसे आज हमारा मन यह खाने को कर २हा है।या आज मन खुश है या उदास है।
एक अन्तर मन भी हाेता है जो हमें महसूस नहीं होता पर वही हमारे जीवन को आगे ले जाता है।उसे अवचेतन मन कहते हैं।यह इतना शक्तिशाली होता है कि पूरे विश्वाश से हम जो कामना इच्छा या काम करते हैं उसे वह पूरा करने में मदद करता है।जैसे सही विचार,आत्म विश्वास और कार्य करने की क्षमता हमारे भीतर आने लग़ती है। और हम उस कार्य को पूरा कर लेते हैं।।
ऐसा कई बार सुना होगा कि,
मुझे फ्ता ही नहीं चला यह इतना अच्छा कैसे हो गया या मुझे हैरानी हो २ही है कि मुझमे लड़ने की इतनी ताकत कहाँ से आ गई थी।और मेंने खुद को बचा लिया।
आस्था उसी अन्तर मन की शक्ति का आधार है।