काली मिर्च पुरातन काल से इस्तेमाल किया जाता रहा है। भारत में मसालों की खोज बहुत पहले ही हो चुकी थी। जब अंग्रेज भारत आए तो उन्हें भोजन मे काली मिर्च का स्वाद बहुत भाया। इसे उन्होंने अपने देश वासियों को चखाया, उन्होंने इसे खूब चाव से अपने भोजन में प्रयोग किया। इसकी माँग दिनों दिन बढ़ने लगी और इसका मूल्य स्वर्ण की तरह हो गया। यहाँ तक की स्वर्ण के स्थान पर काली मिर्च का उपयोग होने लगा। इसको पहले दक्षिण भारत में अधिक उगाया जाता था। अब तो यह देश विदेश में भी उगाई जाती है।
काली मिर्च में औषधिय गुण प्रचूर मात्रा में पाये जाते हैं। इसकी तासीर गर्म होती है। इसमें एक और प्रकार की प्रजाती होती है जिसे सफेद मिर्च कहा जाता है। दोनों समान गुण वाली होती हैं। इसमें बहुत से खनिज पर्दाथ, विटामिन,मिनरल का खजाना है,इसलिए यह आयूर्वेद की औषधीयों में भी प्रयोग होती हैं।
इसका सही उपयोग कैसे करें?
काली मिर्च पाँच सौ मिली ग्राम से एक ग्राम तक की मात्रा में एक बार में प्रयोग किया जा सकता है। एक चुटकी से चार चुटकी पाउडर उपयोग एक बार में किया जा सकता है। किसी भी कारण से या त्रिदोष के कारण भूख लगना कम हो गया हो तो दो चुटकी काली मिर्च सब्जी में डालकर खानी चाहिए। इससे भूख खुल कर लगती है। खाया हुआ अन्न पूरी तरह पच जाता है। काली मिर्च पाचन शक्ति बढ़ाती है। इसके अलावा रोटी पर देसी घी काली मिर्च नमक लगा कर रोल करके खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है। जठराग्नी तीव्र होती है, भूख लगने लगती है। कुछ भी खाया पिया हजम होने लगता है।
कफ प्रकृती वाले व्यक्ति जिनका कफ बढ गया है उनको एक कप पानी में दो चुटकी काली मिर्च डाल कर थोड़ा सा उबाल लें नीचे उतार कर स्वाद अनुसार सेंधा नमक डाल कर सुबह शाम पीने से कफ के कारण होने वाली कमजोरी,शरीर में ढीला पन,छाती में जमा कफ निकाल देता है। इसका प्रयोग करने से बहुत लाभ मिलता है। एक कप गर्म पानी में दो चुटकी काली मिर्च डाल कर उबाल लें व इसकी अच्छी तरह सांस खीच कर तौलिया ओढ कर भाप लें,गले मे जमा कफ,खाँसी हो तो मुँह से भी भाप लेने से इसमें आराम आता है। जब पानी हल्का ठंण्डा हो जाए तो थोड़ा सा उस पानी को पी लेना है। इससे बहुत आराम मिलेगा। इस प्रयोग के बाद खट्टी ठण्डी चीजो का सेवन नहीं करना चाहिए।
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जिन लोगों मे वात गैस का रोग बढा हुआ है वे खाने के बाद एक चम्मच देसी घी में दो चुटकी काली मिर्च और सेंधा नमक डाल कर सुबह शाम खाने से एक घन्टे बाद खाने से वात रोग समाप्त हो जाता है। शरीर के दर्दों में लाभ पहुंचता है।
काली मिर्च दस ग्राम और तिल का तेल बीस ग्राम किसी कटोरे में ले कर गर्म करके उस तेल को गुनगुना होने पर शरीर के दर्द सूजन में आराम मिलता है। इसे गर्म पानी में मिलाकर पेस्ट बनाकर दर्द वाले स्थान पर आधा घण्टा छोड़ देना चाहिए। इसके बाद वहाँ से लेप धो दें,इससे दर्द में आराम मिलता है।
एलर्जी, खाँसी, दमा में काली मिर्च और हल्दी बराबर मात्रा में मिलाकर एक डिब्बी में रख लें। इसे दो चुटकी मात्रा में एक चम्मच देसी घी और स्वाद अनुसार सेंघा नमक मिलाकर खाने के एक घण्टे बाद सुबह शाम लेने से आराम मिलता है। जो लोग घी पसन्द नहीं करते वे इसे एक चम्मच शहद में ले सकते हैं। इसी पाउडर को दो चुटकी,दो कप उबलते पानी में डालकर इन रोगों में गले की सूजन में आराम मिलता है। साँस, कफ जनित रोगों में इससे आराम मिलता है।
पेट दर्द या पेट में संक्रमण हो तो एक कप पानी में दो चुटकी काली मिर्च पाउडर, एक इंच अदरक का टुकड़ा, एक बड़ी इलाइची दोनों को कूटकर पानी आधा रहनेपर उसमें देसी खांड या सेंधा नमक डालकर पीने से सभी प्रकार के पेट दर्द में आराम मिलता है।
जिनको पसीना नहीं आता उनको तरह तरह के रोग होते हैं। इसके लिए एक चम्मच शहद या देसी घी में दो चुटकी काली मिर्च मिला कर खाने से आधा घण्टा पहले सुबह शाम खाने से खुल कर पसीना आता है और रोम छिद्र खुल जाते हैं।
काली मिर्च पेट में अच्छे बैक्टीरिया को बढाती है। एक अच्छा ऑक्सीडेंट है। यह वजन भी कम करती है। इसका पैमपरीन कन्टेन्ट कैंसर सैल को बनने से रोकता है,मधुमेह, कैलोस्ट्रॉल,आवाज मधुर करने में भी इसका उपयोग किया जाता है।
काली मिर्च के कुछ नुकसान:
इसको ज्यादा मात्रा में प्रयोग नहीं करना चाहिए। गर्म तासीर वाले व्यक्ति इसका सेवन ना करें। जिनका पित बढ़ा हुआ है ,जिनको नकसीर आती है, जिनको पेट में कहीं पर भी अलसर की शिकायत है वे इसका सेवन ना करें। गर्भवती स्त्रीयाँ इसका उपयोग ना करें। जिनको मल या मूत्र से खून आता है वे भी इसका सेवन ना करें।