Graphene Coating Information in Hindi: IIT दिल्ली के शोधार्थी और प्राध्यापकों ने Electronics Gadgets और Glasses में इस्तेमाल होने वाले कांच को खरोंच से बचाने के लिए नई तकनीक खोजी है। ग्लास के निर्माण में अत्यधिक बारीक Graphene Coating का इस्तेमाल किया है।
इससे स्क्रीन की उम्र बढ़ जाएगी और उसमें सामान्य कामकाज के दौरान खरोंच नहीं लगेगी। इसके उपयोग के बाद गैजेट में स्क्रीन की सुरक्षा के लिए टैंपर या अन्य वस्तु लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
ग्राफीन के इस्तेमाल पर शोध
IIT दिल्ली के Material Science और Engineering Department के Pro. Nityanand Goswami, Professor of Civil Engineering Department. NM Anoop Krishnan की देखरेख में काम कर रहे शोधार्थी Saurav Sahu (प्रधानमंत्री रिसर्च फेलो) द्वारा Graphene के इस्तेमाल पर शोध किया है।
Pro. Goswami ने बताया कि Electronics Gadgets की स्क्रीन की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल होने वाला Tamper या अन्य वस्तु प्लास्टिक से बनी होती है। जो काफी मोटा होता है। उसके इस्तेमाल से कार्यक्षमता भी घटती है। दूसरी ओर, Graphene Coating अपने Carbon Bond और परमाणु संरचना के चलते अत्यधिक पतला होता है। यह काफी मजबूत भी होता है।
सेल में इस्तेमाल होते हैं ग्रेफाइट
सेल में इस्तेमाल होने वाले Graphite में हजारों लेयर होती हैं। इसकी एक लेयर से Graphene निकलता है। इसका इस्तेमाल Bulletproof Jacket तक बनाने के लिए किया जाता है। इसकी खोज को Nobel Prize से सम्मानित किया गया है। Pro. Goswami ने कहा कि कठोर हीरे की जांच के खिलाफ सिलिका ग्लास सतहों पर Nano Scale Scratch प्रयोगों से पता चलता है कि Graphene Coating प्रभावी ढंग से कांच की सतह को अत्यधिक चिकनी, अत्यधिक कम घर्षण सतह में बदल देती है।
भार वहन करने की होती है क्षमता
Graphene की भार वहन करने की क्षमता Built-in Glass को दबाव से बचाती है, जो आक्रामक घर्षण से लेकर मामूली सतह टकराव तक की क्षति को कम करती है। इसका इस्तेमाल चश्मे को बनाने में भी किया जा सकता है। Pro. NM Anoop Krishnan ने कहा कि Graphene की परतें मानव बाल की मोटाई का दस लाखवां हिस्सा होती हैं। ऐसी Subnanometer-पतली Graphene परतें चश्मे के लिए एक लचीली ढाल के रूप में कार्य करती हैं, जो उन्हें संपर्क के दौरान तनाव से बचाने में सक्षम हैं।