Fact of Ardhnarishwar Shivling in Hindi: Lord Shiva के पूरे भारत में बहुत से मंदिर है और हर मंदिर की अपनी एक खास बात होती है। इसलिए आज भी हम Lord Shiva के एक ऐसे इकलौते मंदिर के बारे में बता रहे है जहां होता है Shiv और Maa Parvati का मिलन।
Himachal Pradesh को देवभूमि कहा जाता है। यहां पर बहुत से प्राचीन और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं। Kangra जिले में एक बहुत ही अनोखा Shivalinga है। जिला Kangra के इंदौरा उपमंडल मुख्यालय से छह किलोमीटर की दूरी पर शिव मंदिर काठगढ़ का विशेष महात्म्य है। शिवरात्रि पर इस मंदिर में प्रदेश के अलावा पंजाब एवं हरियाणा से भी श्रद्धालु आते हैं।
Fact of Ardhnarishwar Shivling in Hindi
अर्धनारीश्वर शिवलिंग का स्वरूप
दो भागों में विभाजित Shivalinga का अंतर ग्रहों एवं नक्षत्रों के अनुसार घटता-बढ़ता रहता है और Shivratri पर Shivalinga के दोनों भाग मिल जाते हैं। यहां का Shivalinga काले-भूरे रंग का है। आदिकाल से स्वयंभू प्रकट सात फुट से अधिक ऊंचा, छह फुट तीन इंच की परिधि में भूरे रंग के रेतीले पाषाण रूप में यह शिवलिंग ब्यास व छौंछ खड्ड के संगम के नजदीक टीले पर विराजमान है।
दो भागों में विभाजित है शिवलिंग
यह Shivalinga दो भागों में विभाजित है। छोटे भाग को Maa Parvati तथा ऊंचे भाग को Lord Shiva के रूप में माना जाता है। मान्यता के अनुसार Maa Parvati और Lord Shiva के इस अर्धनारीश्वर के मध्य का हिस्सा नक्षत्रों के अनुरूप घटता-बढ़ता रहता है और Shivratri पर दोनों का मिलन हो जाता है। Shiva रूप में पूजे जाते शिवलिंग की ऊंचाई लगभग 7-8 फीट है और Parvati के रूप में पूजे जाते शिवलिंग की ऊंचाई लगभग 5-6 फीट है।
ग्रहों और नक्षत्रों के अनुसार घटती-बढ़ती हैं दूरियां
इसे विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर माना जाता है, जहां Shivalinga दो भागों में बंटा हुअ है। Maa Parvati और Lord Shiva के दो विभिन्न रूपों में बंटे Shivalinga में ग्रहों और नक्षत्रों के परिवर्तन के अनुसार इनके दोनों भागों के मध्य का अंतर घटता-बढ़ता रहता है। ग्रीष्म ऋतु में यह स्वरूप दो भागों में बंट जाता है और शीत ऋतु में फिर से एक रूप धारण कर लेता है।
शिव पुराण के अनुसार
Shiva Purana में वर्णित कथा के अनुसार Brahma व Lord Vishnu के मध्य बड़प्पन को लेकर युद्ध हुआ था। Lord Shiva इस युद्ध को देख रहे थे। दोनों के युद्ध को शांत करने के लिए Lord Shiva महाग्नि तुल्य स्तंभ के रूप में प्रकट हुए। इसी महाग्नि तुल्य स्तंभ को काठगढ़ स्थित महादेव का विराजमान Shivalinga माना जाता है। इसे Ardhanarishwar Shivalinga भी कहा जाता है।