Chaitra Navratri Kyu Manaya Jata Hai: साल में दो बार नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है एक तो चैत्र महीने में और दूसरा होता है कार्तिक मास में मनाया जाता है। नवरात्रि में माँ दुर्गा के नो रूप की पूजा की जाती है कार्तिक नवरात्रि का महत्व तो अधिकतर लोगो को पीटीए होगा परन्तु चैत्र नवरात्रि का महत्व बहुत कम लोगो को पीटीए होता है साल में दोनों बार ही नवरात्रि का त्यौहार बहुत धूम धाम से मनाया जाता है। आज हम आपको बतायेगे की चैत्र के नवरात्रे क्यों मनाये जाते है और इसका क्या महत्व है।
Chaitra Navratri Kyu Manaya Jata Hai:
चैत्र नवरात्रि का महत्व:
शास्त्रों में बताया गया है चैत्र नवरात्रि में नौ दिनों तक माता की पूजा की जाती है नौ दिनों तक चलने वाली नवरात्रि की पूजा में मनुष्य को किसी भी प्रकार का शारीरिक और मानसिक तनाव नहीं होता बल्कि वह शारीरिक और मानसिक तौर पर अधिक मज़बूत होता है, और मनुष्य की अंदर की शक्तिया बढ़ जाती है इस से आपके अंदर जो भी क्रोध, अहंकार, ईर्ष्या है सब समाप्त हो जाती है और मनुष्य का मन और शरीर दोनों ही शुद्ध हो जाते है और बुद्धि नियंत्रित रूप से कार्य करती है।
चैत्र नवरात्रि क्यों मनाया जाता है:
शास्त्रों के अनुसार बताया गया है कि चैत्र नवरात्रि मनाने के पीछे एक पौराणिक कहानी छुपी हुई है कहा जाता है कि माँ दुर्गा ने महिषासुर नामक के राक्षस का वध किया था। कहाँ जाता है कि महिषासुर नाम का एक राक्षस था जिस को ब्रहमा जी ने अमर रहने का वरदान दिया था। इस आशीर्वाद के कारण वह धरती से लेकर स्वर्ग के सभी लोगो को परेशान करने लग गया था और अधिक अंहकार भी आ गया था।
इस उसके बर्ताव के कारण सभी देवता परेशान होकर ब्रहमा, विष्णु और शिव भगवान के पास पहुचते है तब तीनों ने मिल कर आदि शक्ति का आवाहन किया था। भगवान शिव, विष्णु और अन्य देवता के मुख से एक ज्योति प्रकट हुई और सभी देवताओं ने मिल कर उनको अपने अस्त्र शस्त्र प्रदान किये। उसके बाद माँ दुर्गा ने महिषासुर को चुनौती दी थी। उसके बाद नौ दिनों तक यह युद्ध चला और दसवे दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध किया। कहा जाता है कि नौ दिन तक माता ने अपने नौ रूप धारण कर सभी राक्षसों का वध किया था। इस कारण चैत्र नवरात्रि का पूजन किया जाता है।
किस प्रकार कि जाती है नवरात्रि की पूजा:
- सबसे पहले माँ दुर्गा का पूजन किया जाता है माता के लिये चौकी लगा कर उस पर लाल कपड़ा बिछा कर उस पर माता की प्रतिमा रखी जाती है।
- उसके बाद माता पर पुष्प माला अर्पित कि जाती है। सुबह नाहा धो कर माता के लिए मिश्री और गोले का प्रसाद बनाया जाता है।
- उसके बाद दीपक प्रज्वलित किया जाता है और माता की पूजा अर्चना की जाती है।
- यह पूजा माता की नौ दिनों तक लगातार सुबह शाम को की जाती है।
- माता के नवरात्रि के आख़िरी दिन नौमी को माता का प्रसाद बनाया जाता है और कन्या पूजन किया जाता है।