करेला कड़वा है पर इसकी कड़वाहट में ही बहुत से गुण छिपे हैं। इसमें बहुत से गुण ऐसे हैं जो दवा की तरह काम करते हैं। इसके इसी गुण के कारण इसे कच्चा, या जूस के रूप में प्रयोग किया जाता है। करेला विटामिन ए, बी1, सी, कैलशियम, कॉपर, आयरन, फास्फोरस, पोटाशियम, जिंक आदी होते हैं। टाइप 2 मधुमेह रोग में यह बहुत बढ़िया असर दायक है।
इसमें कुछ ऐसे कैमीकल होते हैं जो प्लांट इन्सुलिन कहलाते हैं। जो शूगर के लैवल को कम करते हैं। शूगर के मरीज को बहुत सारी चीजें खाने से मना कर दिया जाता है। उसमें करेला उस कमी को दूर करता है।
इसके जूस का सुबह खाली पेट सेवन किया जाता है। इसमें फाइबर होने से यह पेट के रोगों के लिए अच्छा है।
यह शरीर के विष को समाप्त कर अच्छे बैक्टीरिया की रक्षा करता है। यह खून शुद्ध करता है जिससे शरीर और त्वचा के बहुत से रोगों से रक्षा करता है। इसमें कैलरी बहुत कम होती है। सौ ग्राम करेले में कुल 17 कैलोरी होती है, जो लोग वजन कम करना चाहते हैं वे इसे अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।
करेले के एन्टी आक्सीडेंट शरीर को भीतर से साफ कर पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं। जिससे वजन जल्दी कम होता है। यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। जो रोगों से रक्षा करने में सहायक है । इसमें विटामिन ए अच्छी मात्रा होने से यह हमारी आँखों के लिए अच्छा है।
करेला केंसैर सैल्स बनने से रोकता है, और कैंसर से रक्षा करता है। इसे खाने से हैल्दी ब्लड सैल्स बनते हैं। यह शरीर के सभी अंगों के लिए लाभकारी है व किडनी की पथरी को निकालने में सहायता करता है। यह चर्बी नियंत्रक भी है जिससे हृदय रोग नहीं होते, यह हार्ट अटैक से रक्षा करता है। गठिया रोग दूर करने में भी सहायक है।
इसके सेवन से त्वचा स्वस्थ सुन्दर हो जाती है व चर्म रोगों से रक्षा होती है। इसके जूस से फूर्ती और ताकत आती है। इसके प्रोटीन बालों को स्वस्थ रखते हैं। इससे सिर में खुजली, बालों का टूटना रुकता है। करेले का उपयोग कब नहीं करना चाहिए? लो ब्लड शूगर में इसका उपयोग नहीं करना चाहिए । इसका अधिक उपयोग पेट में दर्द कर सकता है।