What is Eye Flu in Hindi: हमारी आँखों के उपर पतली सतह होती है।उसे Conjunctiva कहते हैं।यह आँखों की रक्षा करती है।यह आँखों को स्वस्थ रखती है।जब इसमें संक्रमण हो जाता है तब इसे आई फ्लू या Conjunctivitis Eye कहते हैं।
इस रोग के लक्षण क्या हैं?
आँखें लाल होना,आँखों से पानी आना,आँखों से सफेद कीचड़ आना,सूजन,चिपचिपापन,खुजली,
जलन,दर्द आदी यह लक्षण इस रोग में होते हैं।
इस रोग का इलाज क्या है?
यह इस बात पर निर्भर करता है कि रोग किस कारण हुआ है।मुख्यतः तीन कारण हैं।
पहला कारण बैक्टीरियल नेत्रश्लेष्मलाशोथ लक्षण:
इस संक्रमण में आँखों का चिपकना,पस आना आदी लक्षण होते हैं।कभी कभी इसके साथ साथ आँखों का काँर्निया भी संक्रमित हो सकता है।इससे आँखों की रोशनी भी जा सकती है।यह कभी कभी नवजात शिशु में पाया जाता है।इसके लिए डॉक्टर की सलाह से ही दवा लेनी चाहिए।
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दूसरा संक्रमण वायरल नेत्रश्लेष्मलाशोथ है।
यह संक्रमण वायरल फीवर के साथ आता है।करोना में भी यह संक्रमण पाया जाता है।इसके लक्षण भी आँखें लाल होना,दर्द,खुजली,जलन होना है।इसमें आँखों में गाढ़ा पर्दाथ नहीं बल्की आँखों से पानी आता है।यह इतना घातक नहीं होता।एक हफ्ते तक दवा डालने से यह ठीक हो जाता है।
इसके तीसरे संक्रमण का प्रकार है एलर्जिक नेत्रश्लेष्मलाशोथ:
इसके लक्षण आँखों में खुजली,जलन,आँखें लाल होना है।यह धुँए,पलूशान,धूल,जानवरों के बाल,परागकणों से होता है।यह बच्चों में समान्यताः पाया जाता है।
इस रोग में क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए:
इस रोग में साफ सफाई का खास ख्याल रखना चाहिए।खासकर अपना तौलिया,कंघी,साबुन,अलग रखना चाहिए।हाथों को व आँखों को साफ पानी से धोते रहना चाहिए।सैनीटाइजर का प्रयोग घर से बाहर अवश्य करना चाहिए।क्योंकि यह रोग गंदे हाथों से आँखें छूने से अधिक फैलता है।बार बार आँखों को हाथ नहीं लगाना चाहिए।आँखों को टिशू पेपर से साफ करें और उसे फेंक दें।आँखें पौंछने के लिए साफ अपना तौलिया अलग रखना चाहिए।
रोगी को रोग होने पर अपने आप को अलग रखना चाहिए।क्योंकि यह संक्रमण एक से दूसरे को तेजी से फैलता है।इसमें रोगी को अपनी चादर,तकिया,कपड़े,तौलिया अलग रखने चाहिए।उसकी दवाईयाँ सिर्फ वही इस्तेमाल करे क्योंकि वे संक्रमित हो सकती हैं।अगर परिवार में दूसरे व्यक्ति को वही रोग है तो भी वह अपनी दवाईयाँ अलग ले कर प्रयोग करे।
रोगी अगर चश्मा लगाता है तो वह चश्मा साफ करके प्रयोग करे।अपना चश्मा किसी को भी नहीं देना चाहिए।घर में ही रहें तो बेहतर है।पब्लिक प्लेस में नहीं जाना चाहिए।क्योंकि यह संक्रमण तेजी से एक दूसरे से फैलता है।रोगी को टीवी नहीं देखना चाहिए। संक्रमण काल में चाहे स्वस्थ हों फिर भी गले मिलना,हाथ मिलना इससे बचना चाहिए।बच्चों में संक्रमण होने पर स्कूल ना भेजें।इससे दूसरे बच्चों को भी संक्रमण हो सकता है।बच्चों को बाहर या स्कूल में सैनीटाइजर का उपयोग करवाऐं।उन्हें समझाऐं वे एक दूसरे से कुछ दूरी रखकर बात करें।हाथ मिलाने,गले मिलने से बचें।फिर भी अगर रोग हो जाए तो इसमें सभी बताई गई सावधानी को बरतना चाहिए।सावधानी ही सुरक्षा का उपाय है।जिसे नज़र अन्दाज नहीं करना चाहिए।