सनातन धर्म में कोई किसी का विरोधी नहीं है। हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति ने सदैव दोनों बाँहें फैलाकर अपनाया है।हमारा देश धर्म गुरु है जिसने सारे विश्व को ज्ञान विज्ञान के साथ साथ ऐसी जानकारियाँ साझा की जो सारे विश्व के लिए मील का पत्थर साबित हुई हैं। मानव जीवन हो या प्रकृति,ब्रहमांण्ड कहीं कोई ऐसी जानकारी या ज्ञान नहीं है जो भारत ने विश्व को ना दी हो। ज्योतिष हो या ग्रह नक्षत्र गणना आज भी हमारे देश के ज्योतिष सटीक गणना करते हैं। ग्रहण के समय ,दिन ,तारीख का जो नासा भी नहीं जान सकता है। सालों साल के ग्रहण हों या सिद्ध योग हमारे ज्योतिष पहले ही पत्रिका बनाकर दे देते हैं।
मानव जीवन का कौन सा पक्ष है जहाँ हमारे आध्यात्म में खोज ना हुई हो!? चाहे मानव मन,शरीर के गर्भ से लेकर मृत्यु तक के रोग हों या उनकी अवस्थाऐं सभी हमारे पूर्वजों को ज्ञात थीं। उन्होंने प्रकृति की शरण में उससे घुल मिलकर अनेकों दुर्लभ और आसाध्य रोग हों या साधारण रोग सभी के लिए उन्होंने औषधियों की खोज की है। जिसका लाभ आज सारा विश्व ले रहा है। अगर तकनीकी ज्ञान की बात करें तो आज भी हमारें हजारों साल से खड़े मंदिर ,भवन सारे विश्व को आज भी हैरत में डाल देते हैं। यही नहीं सतयुग से भी पहले से ही विमान ,अस्त्र शस्त्रों की उत्कृष्ट जानकारी जो आज भी विज्ञान सोच नहीं सकता, उस समय में मंत्र बल,ध्वनि व मानसिक रूप से संचालित विमान और अस्त्र होते थे जो कहीं भी क्षण भर में पहुँच सकते थे। ऐसी गति तो आज विज्ञान भी विकसित नहीं कर सका है। जैसे रामायण में पुष्पक विमान का वर्णन मिलता है।
रस,रसायन का क्षेत्र जिसमें विभिन्न धातुओं का निर्माण व उनके संयोजन से मानव उपयोगी वस्तुओं को बनाया जाता रहा है। इसके प्रमाण हमारे मंदिरों के चित्रों में मिलते हैं। उन मंदिरों व मूर्तियों का निर्माण मात्र छैनी हथोड़ी से करना संभव नहीं था यह आज के वैज्ञानिक भी जानते हैं। पत्थर को पिघलाकर साँचे में ढाल कर आकार देना,व ग्रेनाइट जैसे कठोर पत्थर का मुश्किल उपयोग सहजता से अपनी तकनीक द्वारा किया गया है। हमारे पूर्वज भौतिक विज्ञान की जानकारी उच्चत्म स्तर तक रखते थे। इसीलिए आज भी ऐसे मंदिर हैं जो बिना नींव,बिना किसी सीमेंट गारे से जोड़े पूरे गौरव के साथ अपनी गाथा कहते हैं।
हमने अपने ग्रंथों को नहीं पढ़ा। ना ही कोई रूची ली इसलिए हमें लगता है कि हमारे पूर्वज कुछ भी नहीं जानते थे। पर आज विज्ञान इसमें सहायक है। आज देश का युवा अपने इतिहास को यूटयूब,फेसबुक,जैसे अनेकों जरियों से अपने पूर्वजों के ज्ञान को जानने समझने का प्रयास कर रहे हैं।वे हैरान हैं कि हमारे देश का इतना गौरव शाली इतिहास है जो उन्होंने किताबों में नहीं पढ़ा। यह विज्ञान ही है कि आज कोई धर्म सभा हो या कोई प्रवचन उसे सारे विश्व में फैलाने का श्रेय मीडिया को जाता है। दूऱ बैठे भक्तजन अपने प्रिय संत गुरूजनों का सत्संग,प्रवचन सन्देश सुन देख सकते हैं।
विज्ञान ने पूरी दुनियाँ को एक सूत्र में जोड दिया है। हम अपने गुरूजनों से मोबाइल पर बात कर सकते हैं। उनका निजि संन्देश प्राप्त कर सकते हैं। हमारे संत ,गुरू जन विज्ञान तकनीकी का उपयोग कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक ज्ञान पहुँचा रहें हैं। एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाना अब रेल,हवाईजहाज,कार द्वारा संभव और सहज हो गया है। उनके द्वारा प्रकाशित सामग्री ,ग्रंथ,पुस्तिका,पत्रिका सारे विश्व में पहुँचाई गई जाती है। इसमें भी विज्ञान सहायक है। पर किसी का लाभ है तो हानी भी हो सकती है। चाहे विज्ञान हो या ज्ञान यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वो उसका उपयोग किस प्रकार करता है। आजकल विज्ञान का उपयोग हिंसा फैलाने,अफवाह,मतभेद,फैलाने में भी उपयोग हाेता है। जो दुखद है। थोड़े स्वार्थ के ल़िए मानवता का हनन ना हो ऐसी ईश्वर से करबद्ध प्रार्थना है।