16 Somvar Vrat Vidhi in Hindi: 16 सोमवार व्रत के बारे में हम सबने बहुत सुना है कि 16 सोमवार व्रत भगवान शिव के लिए किए जाते है और इसको करने के भिन्न लाभ होते है यह व्रत हिंदू धर्म में बहुत प्रचलती है वैसे तो इसको अविवाहित और विवाहित स्त्री दोनों ही रख सकती है यह व्रत विवाहित जीवन, संतान सुख और मनपसंद जीवनसाथी की इच्छा के लिए किया जाता है। 16 सोमवार व्रत करने से आपकी यह मनोकामना पूर्ण होती है इआलिये इस व्रत को किया जाता है। कहा जाता है यह व्रत माता पार्वती ने शिव जी को पाने के लिए सबसे पहले किया था इस व्रत का बहुत अधिक महत्व सावन में करने से प्राप्त होता है तो चलिए जानते है 16 सोमवार व्रत करने की विधि और नियम।
सोलह सोमवार व्रत कब शुरू करे:
सोलह सोमवार व्रत करना सबसे शुभ सावन माह में माना जाता है यदि आप सोलह सोमवार व्रत करना शुरू करते है तो सावन माह सबसे शुभ माना जाता है यदि इसके अलावा आप शुरू करते है तो चैत्र, मार्गशीर्ष और वैशाख के महीने के पहले सोमवार से आप सोलह सोमवार व्रत करना शुरू कर सकते है। यह व्रत सूर्य निकलने से शुरू होगा और शाम को पूजा करने के बाद प्रसाद ग्रहण कर इसको पूर्ण कर सकते है।
सोलह सोमवार व्रत सामग्री:
सोलह सोमवार करते समय हम सबसे पहले जिस भी समान की जरूरत है वह हमारे पास उपलब्ध हो तो सोलह सोमवार में महत्वपूर्ण सामग्री है- शिवलिंग , जनेऊ, धतूरा, रोली, अष्टगंध, सफेद वस्त्र, बेलपत्र, धूप, पुष्प, सफेद चंदन, भांग, भस्म, फल, मिठाई आदि। उसके बाद आता है पंचामृत जो की पाँच चीज़े होती है- दूध, दही, घी, शहद, शक्कर। उसके बाद आता है माता पार्वती का शृंगार- सोलह शृंगार में चूड़ी, बिंदी, चुनरी, पायल, बिछिया, मेहंदी, कुमकुम, सिंदूर, काजल यह सभी होना आवश्यक है।
सोलह सोमवार व्रत करने की विधि:
- सबसे पहले नाह धो कर साफ़ वस्त्र पहनने चाहिए जब आप नहाए तो उस पानी में गंगाजल अवश्य डाले। और उसके बाद भगवान शिव के सामने सोलह सोमवार व्रत का संकल्प करे। व्रत का संकल्प लेते समय भगवान शिव के सामने ऊं शिवशंकरमीशानं द्वादशार्द्धं त्रिलोचनम्। उमासहितं देवं शिवं आवाहयाम्यहम्। इस मंत्र का जाप अवश्य करे।
- उसके बाद माता पार्वती पर सोलह शृंगार अर्पित करे और धूप दीप आदि जलाये और भोग बनाये भोग में आप चूरमा का भोग लगा सकते है और व्रत कथा शुरू करे।
- उसके बाद स्त्रियां शाम को नहा धो कर शृंगार कर भगवान शिव पर मंदिर या फिर घर में स्थापित शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक करे और उसके बाद पंचामृत चढ़ाये।
- उसके बाद आपको शिवलिंग पर आपको चंदन के तिलक से अपने दायें हाथ की तीन उँगलियों से त्रिपुण बनाये और बाक़ी की सामग्री धतूरा, पुष्प आदि चढ़ाये।
- शाम के समय भगवान जी के भोग के लिए आटे का चूरमा बनाये और इसके तीन हिस्से कर ले। आरती करने के बाद शिव चालीसा का पाठ कर व्रत पूर्ण कर भगवान को भोग लाए और दूसरा हिस्सा ख़ुद खा कर अपना व्रत खोले उसके बाद तीसरे हिस्से को सभी लोगो में बाट दे। यह विधि लगातार सोलह सोमवार तक करनी है।