गेंहूँ के विषय में जानकारी:
गेंहूँ स्वाद में मीठा और ठंण्डी तासीर का होता है। यह पचने में भारी होता है। यह शरीर में चिकनापन लाता है। गेंहूँ वात और पित का शमन करता है। इनसे होने वाले रोगों में यह लाभ करता है। यह शक्ति प्रदान करने वाला,शुक्र धातू अर्थात वीर्य बढ़ाने वाला है। यह टूटी हड्डी को जोड़ने में मदद करता है। यह अनगिनत लाभ देता है।
गेंहूँ के प्रयोग में सावधानी:
गेंहू पचने में भारी होता है। जिन लोगों को गेंहू की रोटी पचती नहीं है,वे उनके लिए रागी बाजरा ज्वार एक अच्छा विकल्प है। जिनकी जठराअग्नि इतनी मजबूत नहीं है वे ये तीनों अनाज का प्रयोग कर सकते हैं। इसमें गुलुटन से किसी किसी को एलर्जी होने के कारण इसका प्रयोग ना करें। यह कफ को बढ़ाने वाला है। इसलिए कफ दोष में इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
ज्वार के गुण:
ज्वार लघू और रूक्ष गुण हैं। लघू यानी यह पचने में हल्की है। और रूक्ष यानी रूखी है। इसकी तासीर ठंण्डी है। यह कफ,पित दोषों को कम करने का कार्य करती है। इसकी तासीर ठंण्डी होने के कारण यह गर्मी के मौसम में प्रयोग की जाती है। यह अप्रैल मई में प्रयोग किया जा सकता है। मधुमेह में ज्वार की रोटी छाछ के साथ खाने से शुगर लेवल कंन्ट्रोल रहता है। जो डाईटिंग और वजन कम करना चाहते हैं वे भी ज्वार की रोटी ले सकते हैं।
ज्वार के उपयोग में क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए:
जिनकी त्वचा रूखी है उन्हें इसका प्रयोग ध्यान से करना चाहिए। जिनकी वात प्रकृति है उन्हें भी इसका सेवन ध्यान से करना चाहिए क्योंकि इससे वात रोग बढ़ सकता है। इसे कम मात्रा में हफ्ते में एक या दो बार अच्छी तरह गाय का घी डालकर प्रयोग करें। घी से इसका रुखा और ठंण्डी तासीर संन्तुलित होती है। जिन लोगो को कब्ज रहती है वे भी इसका सेवन ना करें। क्योंकि इसकी रूखी तासीर कब्ज करती है।
बाजरे के गुण:
बाजरा गर्म तासीर का होता है। यह भी रुखापन बढ़ाता है। यह पचने में भारी होता है। लेकिन गेंहूँ की तुलना में थोड़ा पचने में हल्का है। बाजरा शरीर में जाकर गर्मी बढ़ाता है। यह कफ और वात दोष को कम करता है। यह वात संबधी रोगों में फायदा करता है। यह सर्दीयों में खाना चाहिए तथा वर्षा के मौसम में इसे खाया जा सकता है। बाजरे की रोटी पर तिल लगाकर खाना चहिए ,साथ में घी लगाकर गुड़ के साथ सेवन करना चाहिए।
घी गुड़ के साथ बाजरे की रोटी का एक बहुत ही अच्छा पौष्टिक जोड़ है। यह हमारा परंम्पारिक भोजन है जो हमारे पूर्वजों ने बहुत ही सोच समझ कर बनाया गया है। प्रसव के बाद महिला इसका सेवन करती है तो यह दूध बढ़ाता है। यह खून की कमी दूर करने में भी लाभदायक है। मधूमेह के रोगी, वजन बढ़ने के कारण घुटनों में दर्द है ,या वजन घटाना चाहते हैं तो वे बाजरे का सेवन कर सकते हैं। आयरन,कैलशियम,विटामिन B12 बाजरे में पाया जाता है। बाजरे के आटे को भून कर घी मिश्री गुड़ मिला कर लड्डू बना कर खाया जाता है जो बहुत पौष्टिक होता है।
बाजरे के सेवन की सावधानियाँ:
पित दोष में,या पित बढ़ा हुआ हो तो बाजरे का सेवन संभाल कर करें। इसकी तासीर गर्म होने के कारण यह पित को बढ़ाता है। यह गर्मी के मौसम में प्रयोग संभाल कर करें।
रागी के गुण और उपयोग:
रागी पचने में हल्की है। यह ना ज्यादा गर्म है और ना ज्यादा ठंण्डी है। यह ज्वार बाजरे की तुलना में तरावट वाली है। इसलिए बच्चे,बूढ़े,जवान सभी रागी का सेवन कर सकते हैं। यह खाने पर तृप्ती देने वाली है। सभी मौसमों में इसका सेवन कर सकते हैं। यह बिना वजन बढ़ाए ताकत प्रदान करता है। इसमें कैल्शियम,आयरन अच्छी मात्रा में होता है। इसके लडडू,रोटी,हलवा,और सत्व बनाकर प्रयोग किया जाता है,जो सभी के लिए बहुत पौष्टिक होते हैं।
बच्चों को कौन सा अनाज खिलाऐं:
बच्चों को गेंहू की रोटी खिलानी ज्यादा लाभदायक है। क्योंकि इसमें मिनरल,प्रोटीन,खनिज पर्दाथ होने के कारण यह बढ़ती उम्र में गेंहूँ अधिक फायदा करता है। रागी का प्रयोग भी कर सकते हैं। लेकिन ज्वार बाजरा पचने में भारी होने के कारण कभी कभी ही देने चाहिए।
इसके साथ साथ जिस देश में,स्थान,राज्य में रहते हैं,वहाँ का खान पान अनाज जो ज्यादा खाया जाता है वह ही प्रयोग करना चाहिए। जिस घर में परम्परागत रूप से जो भोजन अनाज खाया जाता है उसी का सेवन करना चाहिए। जो आपके स्वास्थ के अनुकूल हो उसी का सेवन करना चाहिए।
मल्टीग्रेन आटे की रोटी कितनी लाभकारी है?
मल्टीग्रेन आटे का आजकल बहुत प्रचलन है। आयूर्वेद के अनुसार सभी अनाजों की अपनी पौष्टिकता होती है। कोई अनाज गर्म होता है तो कोई ठंण्डा होता है। कोई अनाज किसी को पचता है तो किसी को नहीं पचता तो सबको एकसाथ मिलाकर रोटी बनाना सही नहीं है। यह एक विरूद्ध आहार है। ठंण्डी गर्म तासीर वाले अनाजों को मिलाकर खाने से पेट को नुकसान पहुँचता है। यह पचने में आसान नहीं होता है। इसलिए एक अनाज को अकेले ही पकाना चाहिए। व बदल बदल कर खाना चाहिए।