सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव एवं विष्णु ये पंच-देव कहलाते हैं। इनकी पूजा सभी कार्यों में गृहस्थ आश्रम में नित्य होनी चाहिए। इससे धन, लक्ष्मी और सुख प्राप्त होता है। गणेश जी और भैरव जी को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए। दुर्गा जी को दूर्वा नहीं चढ़ानी चाहिए। सूर्य देव को शंख के जल से अर्घ्य नहीं देना चाहिए। तुलसी का पत्ता बिना स्नान किए नहीं तोड़ना चाहिए। जो लोग बिना स्नान किए तोड़ते हैं, उनके तुलसी पत्रों को भगवान स्वीकार नहीं करते हैं। रविवार, एकादशी, द्वादशी, संक्रान्ति तथा संध्याकाल में तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए। दुर्वा रविवार को नहीं तोड़नी चाहिए। केतकी का फूल शंकर जी को नहीं चढ़ाना चाहिए।
कमल का फूल पाँच रात्रि तक उस पर जल छिड़ककर चढ़ा सकते हैं। बिल्व पत्र दस रात्रि तक जल छिड़ककर चढ़ा सकते हैं। तुलसी की पत्ती को ग्यारह रात्रि तक जल छिड़ककर चढ़ा सकते हैं। हाथों में रखकर हाथों से फूल नहीं चढ़ाना चाहिए। ताँबे के पात्र में चंदन नहीं रखना चाहिए। दीपक से अन्य दीपक नहीं जलाना चाहिए। जो दीपक से दीपक जलाते हैं, वे रोगी होते हैं। पतला चंदन देवताओं को नहीं चढ़ाना चाहिए। प्रतिदिन की पूजा में मनोकामना की सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढ़ानी चाहिए।
दक्षिणा में अपने दोष, दुर्गुणों को छोड़ने का संकल्प लें, अवश्य सफलता मिलेगी और मनोकामना पूर्ण होगी।
चर्म- पात्र या प्लास्टिक पात्र में गंगाजल नहीं रखना चाहिए। स्त्रियों और शूद्रों को शंख नहीं बजाना चाहिए। यदि वे बजाते हैं तो लक्ष्मी वहाँ से चली जाती है। होकर 3 परिक्रमाएँ करें। पूजा घर में मूर्तियाँ 1,3,5,7,9,11 इंच तक ही होनी चाहिए, इससे बड़ी नहीं तथा खड़े हुए गणेश जी, सरस्वती जी, लक्ष्मी जी की मूर्तियाँ घर में नहीं होनी चाहिएँ।
गणेश या देवी की प्रतिमा तीन-तीन,शिवलिंग दो, शालिग्राम दो, सूर्य प्रतिमा दो, गोमतीचक्र दो की संख्या में कदापि न रखें। अपने मंदिर में सिर्फ प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति ही रखें। उपहार (गिफ्ट ),में मिली ,काँच, लकड़ी या फायबर की मूर्तियाँ मंदिर में न रखें एवं खण्डित, जली-कटी फोटो और टूटा काँच तुरन्त हटा दें, यह अमंगलकारक है एवं इससे विपत्तियों का आगमन होता है।
मंदिर के ऊपर भगवान के वस्त्र, पुस्तकें एवं आभूषण आदि भी न रखें। मंदिर में पर्दा अति आवश्यक है। अपने पूज्य माता-पिता तथा पित्रों का फोटो मंदिर में कदापि न रखें, उन्हें घर के नैऋत्य कोण में ही स्थापित करें। विष्णु की चार, गणेश की तीन, सूर्य की सात, दुर्गा की एक एवं शिव की आधी परिक्रमा कर सकते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर में कलश स्थापित करना चाहिए। कलश जल में पूर्ण, श्रीफल से युक्त विधिपूर्वक स्थापित करें। यदि आपके घर में श्रीफल कलश में उग जाता है तो वहाँ सुख एवं समृद्धि के साथ स्वयं लक्ष्मी जी नारायण के साथ निवास करती हैं। तुलसी का पूजन भी आवश्यक है। मकड़ी के जाले एवं दीमक से घर को सर्वदा बचावें अन्यथा घर में भयंकर हानि हो सकती है।